स्वास्थ्य

विदेशी गाय अपनाओ, खुद जान (से) जाओ

आजादी के काफी पहले तक भारत में ठेठ देशी गाय का दूध ही प्रचलित था I एक घटना से उत्साहित होकर अंग्रेजों ने भेंस पर सब्सिडी देना शुरू की और भेंस का खूब प्रचार प्रसार भी शुरू कर दिया फिर तो गाय दोयम दर्जे की हो गई, वैसे ही जैसे न्यू ईयर के चक्कर में गुड़ी पड़वा का हुआ है I
बात आजादी के काफी पहले की है I किसी विद्वान ने 2003 के आसपास इस घटना का उल्लेख किसी सभा में किया था, फिर उसका पुनरुल्लेख मैंने 2004 में अहिंसक खेती और इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में इंदौर प्रीमियर बैंक में आयोजित एक सेमिनार में मुख्यवक्ता के रूप में किया था I और तभी एक मैग्जीन में भी इसी प्रसंग का जिक्र करते हुए मैंने जैविक आहार और जैविक खेती पर केन्द्रित एक आलेख में किया था I
एक अंग्रेज अधिकारी किसी वाहन में ड्राइवर के साथ जा रहा था, कुछ देर बाद देखा कि बीच रास्ते में भेंस बैठी है, उसे हटाने के लिए ड्राइवर उतरने लगा तो अंगरेज नाराज हुआ और बोला कि हार्न बजाओ हट जायेगी I ड्राइवर ने कहा साहब, वह नहीं हटेगी, खूब हार्न बजाने पर भी नहीं हटने पर उसे उतर कर ही डंडा मारकर हटाना पड़ा I पूछने पर अंगरेज को पता चला कि यह दूध देने वाला जानवर है, परन्तु लोग धार्मिक मान्यता के चलते गाय का दूध, दही, घी आदि ही इस्तेमाल करते हैं I वह समझ चुका था कि इसके दूध से व्यक्ति में आलस्य का अवतार हो सकता है I इसी के चलते गाय की चंचलता के मुकाबले भेंस की आलस ने उसे उत्साहित किया और उसने भारतीयों को भेंस के दूध की लत लगाने की ठान ली I छूट के लोभी भारतीय काले दिलों के गोरे अंगरेजों के जाल में फंसते चले गए I
और अब …
अब तो जर्सी गाय यानी आलस्य की महावतार ने पूरे देश को अपने दूध में सराबोर कर लिया है, बाकी का काम (65%) मिलावटी दूध के राक्षसों ने संभाल ही रखा है I आपको जानकर हैरानी होगी दुनिया मे भारत को छोड़ जर्सी गाय का दूध को नहीं पीता !
जर्सी गाय सबसे ज्यादा डैनमार्क, न्यूजीलैंड, आदि देशो मे पायी जाती है ! डैनमार्क मे तो कुल लोगो की आबादी से ज्यादा गाय है ! और आपको ये जानकार हैरानी होगी की डैनमार्क वाले दूध ही नहीं पीते ! क्यों नहीं पीते ? क्योंकि कैंसर होने की संभवना है ,घुटनो कर दर्द होना तो आम बात है ! मधुमेह (शुगर होने का बहुत बड़ा कारण है ये जर्सी गाय का दूध ! डैनमार्क वाले चाय भी बिना दूध की पीते है ! डैनमार्क की सरकार तो दूध ज्यादा होने पर समुद्र मे फेंकवा देती है वहाँ एक line बहुत प्रचलित है ! Milk is a white poison! जितने दुर्गुण भैंस मे होते हैं वे सब जर्सी गाय मे दिखाई देते हैं ! उदाहरण के लिए जर्सी गाय को अपने बच्चों से कोई लगाव नहीं होता और जर्सी गाय अपने बच्चे को कभी पहचानती भी नहीं ! कई बार ऐसा होता है की जर्सी गाय का बच्चा किसी दूसरी जर्सी गाय के साथ चला जाए उसको कोई तकलीफ नहीं !
लेकिन जो भारत की देशी गाय है वो अपने बच्चे से इतना प्रेम करती है इतना लगाव रखती है की अगर उसके बच्चे को किसी ने बुरी नजर से भी देखा तो वो मार डालने के लिए तैयार हो जाती है ! देशी गाय की जो सबसे बड़ी विशेषता है वो ये की वह लाखो की भीड़ मे अपने बच्चे को पहचान लेती है और लाखो की भीड़ मे वो बच्चा अपनी माँ को पहचान लेता हैं !
कभी आप हिमालय पर्वत की परिक्रमा करे, जितनी ऊंचाई तक मनुष्य जा सकता है उतनी ऊंचाई तक आपको देशी गाय देखने को मिलेगी ! आप ऋषिकेश, बद्रीनाथ, आदि जाए जितनी ऊंचाई पर जाए 8000 -9000 फिट तक आपको देशी गाय देखने को मिलेगी ! जर्सी गाय को 10 फिट ऊपर चढ़ाना पड़े तकलीफ आ जाती है
जर्सी गाय का पूरा का पूरा स्वभाव भैंस जैसा है, बहुत बार ऐसा होता है, जर्सी गाय सड़क पर बैठ जाये और पीछे से लोग हार्न बजा बजा कर पागल हो जाते है लेकिन वो नहीं हटती ! क्योंकि हटने के लिए जो आई क्यू चाहिए वो उसमे नहीं है !!
तो पीते रहिये दूध प्रतिदिन जर्सी गाय का,
ख़त्म हो जाएगा, मां बेटे के वात्सल्य का जायका

डॉ मनोहर लाल भंडारी