राजनीति

रमाबाई मैदान से प्रदेश में महापरिवर्तन का संकेत? सर्वे से उत्साहित भाजपा

उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां अब चरम सीमा पर पहंुच रही हैं। नये साल के दूसरे दिन ही लखनऊ के ऐतिहासिक रमाबाई मैदान में भाजपा ने महापरिवर्तन रैली का आयोजन किया जिसमें भाजपा के सामने बसपानेत्री मायावती की रैलियों में आने वाली भीड़ से भी कहीं अधिक भीड़ एकत्र करना एक चुनौती थी, जिसे लगता है भाजपा ने पार कर लिया है। 2 जनवरी को भाजपा की महापरिर्वतन रैली ने अब तक के सभी रिकार्ड ध्वस्त कर दिये हैं। भीड़ को देखकर पीएम मोदी भी खूब उत्साहित हुए व जोश में दिखे तथा उनके चेहरे का तनाव कुछ कम होता हुआ दिखा लेकिन अभी चिंताएं बरकरार हैं। भाजपा की महापरिवर्तन रैली को पीएम मोदी सहित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती व प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने भी संबोधित किया। रमाबाई मैदान एक प्रकार से मोदीमय हो गया था। रैली स्थल पर केवल मोदी-मोदी के नारे ही गूंज रहे थे। माना जा रहा है कि जितने लोग रैली स्थल के अंदर थे उसके आधे बाहर खड़े थे। भाजपा की रैली में पहुचे लोग मोदी की एक झलक पाने के लिए बेताब हो रहे थे। रैली में पीएम मोदी के सम्मान में मोबाइल की लाइटें भी जल उठी थीं।

लखनऊ में भाजपा की महापरिवर्तन रैली से यह साफ संकेत मिल रहा है कि अब भाजपा मोदी के सहारे ही अपनी चुनावी वैतरणी को पार करने जा रही है। यह भी साफ हो गया है कि आगे की रैलियों में भी मोदी जी भ्रष्टाचार, कालाधन और कानून व्यवस्था के मामले में सपा-बसपा-कांग्रेस को एक ही तराजू में तौलेंगे। वे यह भी कहने में कोई कसर नहीं छोडे़ंगे कि यूपी के विकास के लिए केंद्र की तरह यूपी में भी भाजपा सरकार होनी चाहिये। दूसरे दल अपने राजनैतिक हितों की खातिर केंद्र की मदद का उपयोग नहीं करते हैं।

खबर है कि रैली में भीड़ से उत्साहित होकर भाजपा अब पीएम मोदी की पूरे प्रदेश भर में 20 जनसभाएं लगाने की योजना बना रही है। भाजपा यह चाहती है कि लखनऊ की रैली के बाद प्रदेश में जो उत्साह बनता दिखलायी पड़ रहा है, वह उसी प्रकार से बना रहे। साथ ही यह भी संकेत मिला है गृहमंत्री राजनाथ सिंह ही पीएम मोदी के बाद सबसे शक्तिशाली चेहरा व प्रचारक बनकर उभर रहे हैं। एक ओर जहां रमाबाई मैदान भीड़ के मामले में रिकार्ड बना रहा था, वहीं दूसरी ओर विरोधी दल इस रैली में आये लोगों का अपमान कर रहे थे व मजाक बना रहे थे। रमाबाई मैदान में आयी भीड़ को देखकर प्रतीत हो रहा था कि जैसे कि केसरिया जनसमुद्र झिलमिला रहा हो।

पीएम मोदी ने हर भाषण की तरह अपने भाषण से जनमानस के हर पहलू को छूने का प्रयास किया और विरोधी दलों पर करारा हमला बोला। उन्होंने ने अपने संबोधन के पहले ही चरण में कहा कि, ”कई वर्षों से राजनीति में हूं, बीजेपी में राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में कार्य करने का मौका मिला। मुख्यमंत्री के रूप में भी सेवा करने का मौका मिला। ढाई साल से प्रधानसेवक के तौर पर आपकी सेवा करने का मौका मिला लेकिन कभी इतनी बड़ी रैली करने का सौभाग्य नहीं मिला।” पीएम मोदी की यह साल 2017 में पहली और नोटबंदी के 50 दिन बाद भी पहली बार वे किसी रैली को संबोधित कर रहे थे। मोदी ने अपने संबोधन में विकास का मुददा पूरे जोर शोर से उठाते हुए एक बार फिर सबका साथ सबका विकास के नारे पर बल दिया है।

राजनैतिक विश्लेषक व रैलियों में आ रही भीड़ को आधार मानकर अपना सर्वे पेश कर देने वाले राजनैतिक पंडित भी रमाबाई मैदान में आयी भीड़ के उत्साह एवं ऊर्जा को देखकर एकबारगी अचम्भित अवश्य हैं। यही कारण रहा कि पीएम मोदी ने सभी को शुक्रिया भी अदा किया। रैली में आयी भीड़ को देखकर लग रहा था कि जनमानस पर भीषण सर्दी के सितम का भी कोई असर नहीं पड़ रहा था। रमाबाई मैदान की भीड़ ने विरोधी दलों को सोचने पर मजबूर अवश्य कर दिया है। रैली पर बसपा सुप्रीमो मायावती और सपाई नेताओं ने जमकर प्रहार भी किये हैं। मायावती ने हर बार की तरह पीएम मोदी के भाषण को निराशाजनक व रैली को फ्लाॅप बताया।

पीएम मोदी ने अपने भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी को तो याद किया ही साथ ही साथ कल्याण सिंह व राजनाथ सिंह की अगुवाई में बनी सरकारों व उनके कामकाज को भी याद किया। अटल जी को याद तो किया गया पर अटल जी का चित्र नहीं सजाया गया। वहीे दूसरी ओर पीएम ने अपने भाषण में अटल जी के काम का नाम लिया और कहा कि वे जहां कही भी टीवी पर आने वाली भीड़ को देख रहे होंगे वह भी हम लोगों को आशीर्वाद ही दे रहे होंगे। यही बात उन्होनें पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के लिए भी कहीं। पीएम मोदी ने अपने भाषण में पिता, पुत्र और परिवार पर भी खूब हमले किये।

वहीं विकास पर बल देते हुए पीएम ने कहा कि, ”कहा जा रहा है कियूपी में बीजेपी का वनवास खत्म होगा कि नहीं। मुददा बीजेपी के वनवास खत्म करने का नहीं अपितु राज्य में विकास के वनवास के खत्म होने का है।“ उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान का भाग्य बदलने के लिये पहली शर्त है कि उत्तर प्रदेश का भाग्य बदलना पड़ेगा। भारत को आगे बढ़ना है तो यूपी का आगे बढ़ना जरूरी है। यही कारण है कि पीएम मोदी ने उपस्थित जन समूह से कहा कि वे एक बार अपने-पराये, जात-पात से ऊपर उठकर सिर्फ उप्र के विकास के लिए वोट करें। पीएम ने सत्ताधारी पार्टी को निशाना बनाकर कहा कि वे जानते हैं कि यूपी में सरकारें कैसे चलती हैं। उन्होंने नोटबंदी के बाद एसपी और बीएसपी की ओर से हो रहे विरोध पर निशाना साधते हुए कहाकि हम भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की बात करते हैं। आपने कभी एसपी-बीएसपी को एक साथ देखा है, लेकिन एक मुददे पर दोंनो इकट्ठे हो गये। दोनों मिलकर कह रहे हैं कि मोदी को बदलो, मोदी को हटाओ। निर्णय आपको करना है।

अपनी रैली में उन्होनें भीम ऐप का उल्लेख करते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा लोग भीम ऐप डाउनलोड करें और इससे बड़ी श्रद्धांजलि बाबा साहेब अंबेडकर को नहीं दी जा सकती। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने सपा, बसपा और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।

पीएम मोदी के संबोधन के पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने संबोधित करते हुए कहा कि अगर यूपी में बीजेपी की सरकार बनती है तो यूपी से सभी गंुडे भाग जायेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सपा पर करारा हमला बोला और कहा कि चाचा-भतीजा इस प्रदेश का विकास नहीं कर सकते और बुआ तो कतई नहीं कर सकती। इन दोनों दलों ने 14 वर्षों में प्रदेश को बहुत पीछे छोड़ दिया है। देश के 10 प्रदेशों में भाजपा की सरकारें है। इन प्रदेशों की तुलना करने पर यूपी की दुर्दशा साफ दिखती है। उन्होंने यूपी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाये।

रैली में भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर था। अब यह देखना है कि क्या रमाबाई मैदान में आयी यह केसरिया भीड़ वोटबैंक में तब्दील हो सकेगी? रैली को देखकर तो लग रहा है कि यदि यह वोटबैंक में बदल गयी तो यह 2017 के विधानसभा चुनावों में 2014 के लोकसभा चुनावों की तर्ज पर भाजपा की सुनामी भी ला सकती है। लेकिन अभी भी भाजपा के सामने कई समस्यायें व चुनौतियां सामने हैं, जिनका भाजपा नेतृत्व को एहसास भी है। चुनाव की तारीखें घोषित हो जाने के बाद टीवी सर्वेक्षणों में भी भाजपा की सरकार बनती दिखायी जा रही है। आज तक टीवी चैनल के सर्वे में भजपा को 206 से 216 सीटों पर बढ़त दिखायी जा रही है। उसके बाद भाजपा में उत्साह का कुछ संचार हुआ है लेकिन अभी भी सर्वे के एक हिस्से में प्रदेश की जनता भाजपा से एक अच्छे नेता की मांग कर रही है,े जो अकेले ही सब पर भारी पड़ जाये।

मृत्यंजय दीक्षित