कविता

यह क्या है !

हे विश्वास ! तुम
निर्दय, निर्मम धूर्त हो !
अपने पाँव के नीचे
हजारों सालों से
मानवता को दबाते-दबाते,
अट्टहास का विकराल नृत्य-कृत्य !
धोखेबाजी ! आघात तुम करते हो !

कुटिल नीति के जाल में
आम जनता को बंदी बनाते-बनाते,
सुख-भोग भोग की लालसा में ऊँघते,
हमारे आँसू तुम पीते हो !

धर्म-संप्रदाय का नाम लेते-लेते,
भेद-विभेद की रचना !
घूँघट-पट में
अंतर्यामी का रूप तुम हो !

भावमय-जगत के
अनंत आकाशभर में
प्रदूषण फैलाते-फैलाते,
तुम शाहबाश ! अधिष्ठाता हो !

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।