गीतिका/ग़ज़ल

माँ बाप ने मन्नतों का ढ़ेर लगाया होगा

माँ बाप ने मन्नतो का ढ़ेर लगाया होगा
तब कहीं जाकर घर का चिराग पाया होगा।

तेरी सलामती खातिर दुआ अर्ज़ करने
कई मंदिरों मस्जिदों मजारो पे शीश नवाया होगा।

तेरा हर ख़्वाब पूरा करने की चाह में,
ख़ुद के अरमानों का गला दबाया होगा।

स्वयं के सपनों को आग लगाई होगी
तब कहीं जाकर तेरा हर स्वप्न सजाया होगा।

और जब तू उन्हें वृद्धाश्रम छोड़ आया आज
सोच तुमने सब कुछ खोकर क्या पाया होगा।

विनोद दवे

नाम = विनोदकुमारदवे परिचय = एक कविता संग्रह 'अच्छे दिनों के इंतज़ार में' सृजनलोक प्रकाशन से प्रकाशित। अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत। विनोद कुमार दवे 206 बड़ी ब्रह्मपुरी मुकाम पोस्ट=भाटून्द तहसील =बाली जिला= पाली राजस्थान 306707 मोबाइल=9166280718 ईमेल = davevinod14@gmail.com