कविता

ऐसा हो नव वर्ष हमारा।

आप व्यस्त हो जायेंगें, बज्म में ढूंढ न पायेंगे।
आप महान है मै अदना हूं, ध्यान नही दे पायंगे।
वक्त से पहले ही मै, दहलीज पे आपके आया हूं।
इनको ठुकरा मत देना, मैं विखरे मोती लाया हूं।।

ऐसा हो नव वर्ष हमारा।
त्रास सभी के मिट जाये, अरि कोई यहां न रह जाये।
छाले है जिनके पांवों में, वो दर्द भुलाके मुस्काएं।
संस्कार ज़ीनत हो सबकी, इस्तियाक बने भाई चारा-
अरमान सभी के पूरे हों, ऐसा हो नव वर्ष हमारा।

नई उमंग हो नई तरंग हो, ऐसा नया सबेरा आये।
किरनों मंे ऐसी गर्मी हो, मुफलिसी यहां सब जल जाये।
फिर कोई विवस रहे न यहां, पलकों में सावन न आये।
संघर्षों की पताका सबकी, मंजिल पर जा कर लहराये।
काया न लिपटे तिरंगें मंे, किन्तु कश्मीर हो जाये हमारा
अरमान सभी के पूरे हो, ऐसा हो नव वर्ष हमारा।

नई छटा में नई कहानी, आह भरी अब निशा न हो।
खुशियों की हो नई रोशनी, बुझती हुई शिखा न हो।
आसमान के दामन में हम, पंक्षी बनके उड जायें।
जिनकी टूटी गयी माला, वो नई बहार में जुड जायेे।
सब करूणक्रंदन मिट जाये, दिलों पर हो बस राज हमारा।
अरमान सभी के पूरे हो, ऐसा हो नव वर्ष हमारा।

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782