कविता

चलो तुम साथ मेरे

आज
चलो तुम मेरे साथ
लेके हाथों में हाथ
आशा रहती है नदियां के पार
बैठो कश्ती में और खेओ पतवार
सपने हकीकत में बदल जायेंगे
जब ये कश्ती पार हम लगायेंगे
वहां दिन है खिला गुलाब-सा
चाँद तारों से सजती है रात
आज
चलो तुम मेरे साथ
लेके हाथों में हाथ
मिले नहीं तो अंबर पे छायेंगे
हंसते हंसते एक स्वर में गायेेंगे
प्रेम हुआ अनमोल रत्न, ना गँवाओ इसको
भगवान् की अमर ज्योति है ना बुझाओ इसको
चलेंगे, बनेंगे, बढ़ेंगे, नई कहानी गढेंगे
चाहे कैसे भी हो बुरे हालात
आज
चलो तुम मेरे साथ
लेके हाथों में हाथ
सफर में हम बहुत सारी बातें करेंगे
लौ जलाये प्रेम की कभी ना डरेंगे
कदमों से कदम मिलाकर
लडेंगे सीना उँचा उठाकर
प्रेम राग पर तलवार चलेंगी
रहेगी आखिर कतरें तक यही बात
आज
चलो तुम मेरे साथ
लेके हाथों में हाथ

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733