मेरी कहानी 195
जिस हालात में भी मैं था, मैंने रहना कबूल कर लिया था। वक्त दौड़ा जा रहा था और मैं अपनी
Read Moreजिस हालात में भी मैं था, मैंने रहना कबूल कर लिया था। वक्त दौड़ा जा रहा था और मैं अपनी
Read Moreअति बुरी होती है साँसों की हो या संयम की विचलन की हो या विभोर की प्रेम की हो या
Read Moreवो क्यों बोलने में सँभलते रहे लगा मुझको सच वो निगलते रहे वहाँ ख़ास की पूछ होती रही मियां आम
Read Moreभला क्या हासिल ? साफ़ कर लो भले तुम घर ‘ गली ‘ मोहल्ल्ले को जब तलक साफ़ ना हो
Read Moreनया साल व्यंग्यकारों के लिए बड़ा चौचक रहने वाला है। नए वर्ष में व्यंग्यकारों की कुंडली के सातवें घर में
Read Moreफिर आया नववर्ष भूल जाओ जो बीता. धूल झाड़ के ख्वाबों को बाहों में भर लो. हरे-भरे बागानों को राहों
Read Moreरूपये का पचास पैसा या उनचास पैसा ही लेकर ,अपने पिता के घर से आई स्त्री , महीने के 15
Read More(1 जनवरी को वीर गोकुल जाट के बलिदान दिवस पर प्रकाशित) आर्य धर्म की महान क्षत्रिय परम्परा को कौन नही
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