बसंत ऋतु
मौसम अलबेला
लगे सुहाना
बसंती हवा
मचलता है मन
हो मदमस्त|
— निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या’
बसंत ऋतु
मौसम अलबेला
लगे सुहाना
बसंती हवा
मचलता है मन
हो मदमस्त|
— निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या’
1. हमने माना पानी नहीं बहाना तुम भी मानो। 2. छेड़ोगो तुम अगर प्रकृति को तो भुगतोगे। 3. जल-जंजाल न बने जीवन का जरा विचारो। 4. सूखा ही सूखा क्यों है चारों ओर सोचो तो सही। 5. हँसना रोना बोलो कौन सिखाता खुद आ जाता। 6. सुनो सब की सोचो समझो और करो मन की […]
(1) गूँजी हैं चीखें शब्द-शब्द हैं मौन रोता हैं कौन। (2) खेत पूछते क्यों डुबोया तुमने बोलो न पानी। (3) न तुम, न मैं कौन भूल पाया है बीता समय। (4) चोरों का राज्य बिना रूपये दिये बने न काज। (5) बरसे नैन तुम्हारे बिन चैन अब न आये। (6) बड़ी कठिन जीवन डगरियाँ मान […]
प्यारी प्रेयसी चन्दनी रूपी सखी वो रूपवती।। चांदनी रात बैठा चांद सा सखा मुद्रा मोहक ।। प्यार मिलन ज्यों कृष्ण रासलीला वो शशि कला।।