उपन्यास अंश

आजादी भाग –२६

राहुल के चेहरे पर विजयी मुस्कान फैली हुई थी । रोहित और उसके साथियों को अपनी बात समझाने में वह कामयाब हो गया था । उसके अपने साथी पूरी तरह से उसकी बात मानने के लिए तैयार बैठे थे । उनके पास और कोई चारा भी तो नहीं था । उसने रोहित को अपने करीब बुलाया और मनोज सहित सभी बच्चों को लक्ष्य करके बोलना शुरू किया ” हाँ ! तो मनोज मैं ये पूछ रहा था कि ऐसी ही शीशी तुमने असलम भाई के यहाँ देखी थी और तुम सब का जवाब हां में था । लेकिन मैंने ऐसा क्यों पूछा था तुम लोग समझ पाए ? नहीं न ? ”
मनोज मूर्खों की तरह पलकें झपकाते हुए कहा ” अरे यार राहुल ! समझ जाते तो पूछते ही क्यों ? अब पता नहीं तुम्हें उस शीशी में क्या खास दिखाई दे रहा है ? ”
राहुल के चेहरे पर मुस्कान और गहरी हो गयी ” कोई बात नहीं । अब चलो मैं ही बता देता हूँ कि उस शीशी में क्या खास दिखाई दे रहा है । ” कहते हुए उसने शीशी का ढक्कन खोल कर शीशी टीपू के नथुने के करीब ले जाते हुए उसे जोर से सूंघने के लिए कहा । टीपू भी उस शीशी के रहस्य को जानने के लिए उत्सुक था । शीशी नथुने से सटाकर उसे सूंघते हुए टीपू को लगा उसकी नाक बदबू से फट जाएगी । बदबू की तीव्रता से उसका सर चकरा गया । राहुल ने उसे एक बार और जोर से गहरी सांस लेकर उसे सूंघने के लिए कहा । टीपू के ऐसा करते ही उसके नथुने सड़ांध की बदबू से भर गए और फिर अगले ही पल उसकी आँखें बंद होने लगी । टीपू घबरा गया था । रोते हुए कहने लगा ” क्या था इस शीशी में । मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मुझे नींद आ रही है …….। और उसका वाक्य पुरा भी नहीं हो पाया था कि वह धीरे धीरे नीचे बैठते हुए जमीन पर ही सो गया । उसकी ऐसी हालत देखकर मनोज सहित सभी बच्चे चिंतित हो गए । मनोज तो चिल्ला ही पड़ा ” ये तुमने क्या किया राहुल ? क्या हुआ है टीपू को ? और उस शीशी में क्या था ? ”
राहुल भी टीपू की दशा देखकर डरा हुआ लग रहा था लेकिन फिर भी गजब के साहस का परिचय देते हुए उसने अपनी उलटी हथेली टीपू के नथुने के सामने ले जाकर उसकी चल रही साँसों को महसूस किया और उठकर खड़ा होते हुए बोला ” इसे कुछ नहीं हुआ है । इसकी सासें चल रही हैं और यह सही सलामत है । बस यह दवाई के असर से थोड़े समय के लिए बेहोश हुआ है । ”
” इसका मतलब तुम जानते थे कि इस शीशी में बेहोशी की दवाई है । और फिर भी तुमने इसे टीपू को सुंघाया । अगर इसे कुछ हो गया तो ? ” रोहित ने शंका जताई ।
राहुल ने गर्दन हिलाकर उसकी बात को तवज्जो देते हुए बताया ” हाँ ! मैं जानता था कि इस शीशी में बेहोशी की दवाई हो सकती है लेकिन इतनी तेज होगी यह नहीं जानता था । उसकी तीव्रता को परखने के लिए ही मैने यह शीशी टीपू को सुंघाया था । मैंने कहीं पढ़ा था कि बेहोशी की दवा जो खाने या पीने में इस्तेमाल की जाती है उसे सूंघने से कोई विपरीत असर नहीं होता । यदि दवा की तीव्रता अधिक हुयी तो भी उसका असर क्षणिक ही होगा । और अब साबित हो गया है कि यह दवा काफी तीव्रता वाला है । इसका मतलब है कि इसकी थोड़ी सी भी मात्रा किसी भी जरिये से हमारे शरीर में पहुँच जाये तो हमें बेहोश होते देर नहीं लगेगी । ” बोलते बोलते राहुल थोड़े समय के लिए रुका । तभी उसकी नजर नीचे जमीन पर लेटे टीपू पर पड़ी । अब उसके शरीर में हलकी हलचल सी महसूस हो रही थी । तभी मनोज ने नल से चुल्लू भर पानी लाकर उसके मुंह पर छिड़क दिया । मुंह पर पानी पड़ते ही टीपू आँखें मसलते हुए उठ बैठा । खुद को बच्चों से घिरा पाकर टीपू भी कुछ घबरा सा गया था । राहुल की तरफ देखते हुए बोला ” राहुल भैया ! क्या था उस शीशी में ? और मुझे क्या हो गया था ? सूंघने के बाद क्या हुआ मुझे कुछ पता ही नहीं । ”
राहुल ने उसे धीरज बंधाते हुए उसके कंधे पर हाथ रखा और बताया ” कोई बात नहीं ! चिंता न करो ! तुम्हें कुछ नहीं हुआ है । उस शीशी में बेहोशी की दवा है जिसे सूंघने के बाद तुम्हें थोड़े समय के लिए बेहोशी की हालत में जाना पड़ा था । लेकिन टीपू ! इसी के साथ हम सबके लिए एक खुशखबरी भी है । अब यही शीशी हमारी रिहाई का कारण बनने जा रही है । ”
राहुल की बात सुनते ही सभी चौंक पड़े । मनोज से रहा नहीं गया । पूूछ ही बैठा “इस शीशी का हमारी रिहाई से क्या सम्बन्ध है ? ”
राहुल मुस्कुराते हुए बोला ” धीरज रखो ! मैं सब बताऊंगा । आखिर तुम सबके सहयोग के बिना मैं कुछ कर भी नहीं पाऊंगा । अब सभी लोग मेरी बात ध्यान से सुनो । मनोज ! तुम्हें याद है जब हम असलम भाई के यहाँ थे । यहाँ आने से पहले हम सबको असलम भाई के गुर्गे ने एक एक गिलास पानी पिलाया था ! ”
मनोज तुरंत ही बोल पड़ा ” हाँ याद है ! कुछ अजीब सा स्वाद था उस पानी का । और वो पानी पीते ही हम अपनी सुध बुध खो बैठे थे । और उसके बाद जब हमें होश आया तो हम इस अँधेरे कमरे में बंद थे । लेकिन इसका हमारी रिहाई से क्या सम्बन्ध है ? यह तुम अभी भी नहीं बता रहे हो । पहेलियाँ क्यों बुझा रहे हो ? ”
राहुल उसकी अधीरता का एक तरह से आनंद लेते हुए बोला ” मनोज ! मैं जो बतानेवाला था वह तो तुमने ही बता दिया । अभी अभी तुमने बताया कि वह पानी पीते ही सब अपने सुध बुध खो बैठे थे । ऐसा क्यों ? यह नहीं सोचा तुमने ? ”
मनोज  अपने माथे पर हाथ मारते हुए बिच में ही बोल पड़ा ” अरे हाँ ! ये तो हमने सोचा ही नहीं । ऐसा कैसे हो गया था और हम सभी बेहोश हो गए थे । जरूर उस पानी में कुछ मिलाया गया होगा । उस पानी का स्वाद भी तो कुछ अजीब सा था ।”
मनोज के खामोश होते ही राहुल बोला ” हाँ ! अब तुम सही अंदाजा लगा रहे हो । उस पानी में कुछ मिलाया गया था । और वह कुछ और नहीं इसी शीशी की दवाई थी । इस दवाई के प्रभाव में आकर हम थोड़े समय के लिए बेहोश हो गए थे । और जब होश आया तो हम यहाँ इस कमरे में थे । ”
मनोज टीपू रोहित सहित सभी बच्चे इस रहस्योद्घाटन से राहुल को प्रशंसनीय नज़रों से निहार रहे थे । अब उनकी उम्मीद राहुल से बढ़ गयी थी और रिहाई की योजना के बारे में जानने को सभी उत्सुक थे । कुछ देर की ख़ामोशी के बाद इससे पहले कि राहुल अपनी बात आगे बढाता मनोज अधीरता से बोल पड़ा ” लेकिन राहुल ! इससे हमारी रिहाई का क्या सम्बन्ध है यह तो तुमने बताया ही नहीं ? ”

 

क्रमशः

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।