कुण्डली/छंद

छंद

दमकैं चमकैं निशिवासर ही निधि नेह नही तनिकौ हियमे है।

घरमा रहिकै नहि बैर करै पर प्रीति नही तनिकौ पियमे है।

निशि नींद नही जब प्रात उठै,तब टीस उठै प्रिय की जियमे है।

यह देखि सबेरेस नैन बहैं पति पूछत लाग जिया कियमे है।।

मन मारि मसोसि कहैं पिय से सुधि आय गयी बिरना घर की है।

नहि हाल मिले कबसे बिरना नहि जानत आये न कारन का है।

पिय प्यार सखी मन याद भई जब आय गये अँखियन असुवा है।

अरु कारन दूसर नाहिन नाथ चहै मन देखन नैहरवा है।।

कमनीय लजावन शीलहिं शोभित नारि करै घरमा उजियारी।

घरके जतने जन छोट बड़े सबसे कर स्नेह लगै हुशियारी।

घरके झट काज निपाटि करै फिरि सास ससूरहिं सेवा जारी।

धन धान्य कमी न रही कबहूँ जब नारि करै घर की रखवारी।।

सृष्टि अनन्त,अनादि औ अंत,को शारद शेष जो पार न पाई।

कोटिंन भानु प्रकाश कारें,जिनको प्रभु ने परमाणु बनाई।

दृष्टि अगोचर, नाम न रूप,न भेद तौ कहउँ का सुंदरताई।

कन छन पास बसौ मन मेरे,लाखौं न तौ कैसे करौं कविताई।।

जब उत्तरवासी राम चन्द्र,गये दच्छिन को दण्डक वन मे।

तब भक्तिन शबरी ने उनकी ,सेवा की बेरों से उस उपवन में।

अब आज हमारी बारी है,हम वही भाव हिय रखते है।

यह सुमन हार प्रभु सेवा मे,हम सादर अर्पित करते हैं।।
नन्दी पर सवार नाथ आओ गिरिजा के साथ तेरे पद बन्दन को शीश हम झुकाये है;
गले नाग चन्द्रभाल सती जि की मुण्डमाल कांनन बृश्चिक हार काम निधि लजाए है।
सर तेरे गंग वास पद हरी हर प्रबास मस्तक की आँख मे काल भी समाये है;
काँधे गायत्री माल बदन बाघम्बर छाल पर्वत कैलाश पर आसन लगाये हैं।
अस्त्रों मे त्रिशूल हाथ ध्वनियों मे डमरू नाद मेरे प्रभु भोले नाथ दरश दिखाइये।।

डॉ. जय प्रकाश शुक्ल

एम ए (हिन्दी) शिक्षा विशारद आयुर्वेद रत्न यू एल सी जन्मतिथि 06 /10/1969 अध्यक्ष:- हवज्ञाम जनकल्याण संस्थान उत्तर प्रदेश भारत "रोजगार सृजन प्रशिक्षण" वेरोजगारी उन्मूलन सदस्यता अभियान सेमरहा,पोस्ट उधौली ,बाराबंकी उप्र पिन 225412 mob.no.9984540372