कविता

निधि छंद.

बरसते सावन
लगे मनभावन
मोर वृंदावन
देख मन पावन!
……………….
नाचे वन मोर
देख नयन फार
अद्भुत संसार
करती मनुहार!
…………………
पावन है गगन
देखे हरे वन
मन मे हैं मगन
करती हूँ नमन!
……………..
लहरते पतंग
बिखरते तरंग
मनाते उमंग
निहारते गगन!
बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।