कविता

कविता – 2

सुबह की हवाओं ने
खूबसूरत सुहाने मौसम में
सूरज का पट खोल दिया
जिसे देखकर पूरी सृष्टी
का सवेरा हो गया
मंद मंद पवनों के झुंड
कान में शब्द गुंजाने लगे
पशु पक्षी भी झुंड के झुंड
दाना चुगने में लग गये
किसान हल बैलों से सुसज्जित
खेतों की अोर चल पड़े
सुबह प्रातः की किरण से
सब में जोश भर आई!

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।