भजन/भावगीत

आर्तनाद~द्रौपदी

द्रुपद सुता की लाज बचा लो ,आके मुरलीवाले।

कहाँ तू सो रहा है।।

बीच सभा मे देखो ,दुखिया पुकारे बड़ी देर से।

दौड़ के आजा कान्हा, बहना की इक टेर से।

दुष्ट दुश्शासन खींचै सारी,सारी वही बढ़ा दो।

कहाँ तू सो रहा है।।

चाल चली खल भारी,भीर भरी दरबार में।

दुष्ट दुर्योधन माने,मान मेरे अपमान मे।

पती हमारे जुए मे हारे,छूटे सभी सहारे।

कहाँ तू सो रहा है।।

बहना तुम्हारी श्यामा,संकट मे,पड़ी, आन है।

हे ! गिरधारी आज,हाथों में तेरे लाज है।

आन बचाओ लाज हमारी,काटो संकट सारे।

कहाँ तू सो रहा है।।

होत उघारी, बहना,जायेगी तेरी लाज है।

भैय्या ओ मोहन प्यारे,तू ही मेरा सरताज है।

नरबस नारी विबस बिचारी,तुमही एक अधारे।

कहाँ तू सो रहा है।।

आके समा जा प्रभु जि, सारी के हर तार मे।

दाग न लगने पाये,कृशन कन्हैय्या तेरी शान मे।

गणिका गीध अजामिल तारे,भक्तों के रखवाले।

कहाँ तू सो रहा है।।

“प्रकाश बन्धु”

 

 

 

 

डॉ. जय प्रकाश शुक्ल

एम ए (हिन्दी) शिक्षा विशारद आयुर्वेद रत्न यू एल सी जन्मतिथि 06 /10/1969 अध्यक्ष:- हवज्ञाम जनकल्याण संस्थान उत्तर प्रदेश भारत "रोजगार सृजन प्रशिक्षण" वेरोजगारी उन्मूलन सदस्यता अभियान सेमरहा,पोस्ट उधौली ,बाराबंकी उप्र पिन 225412 mob.no.9984540372