बोधकथा

शेरो को जंजीर से मत बाँधिये

बहुत पहले चीन मे एक महात्मा हुआ करते थे जो सदा शान्ती का उपदेश दिया करते थे लेकिन कमर मे हमेशा तलवार बांधे रहते थे / शिष्य बड़ी हिम्मत करके एक दिन पूछे की गुरु जी आप हमेशा तलवार क्यो लिये रहते है और इसे आप कबतक लिये रहेंगे ? गुरु ने संक्षिप्त उत्तर दिया की जबतक यह अगले के कमर मे रहेगी / शान्ती जितनी अवश्यक है उससे ज्यादे उसकी रक्षा करना , उसको दुष्टो से बचाये रखना ! यही दर्शन हमारा हमेशा से रहा है जिसके तहत यहा का ब्रम्हगयानी समाज शस्त्र और शास्त्र दोनो का ग्याता था /

एक बार एक अंग्रेज़ भारत घूमने आया तो उसे गाइड चिड़िया घर ले गया , जहा उसे कुत्ते देखकर भौकने लगे / वह झटपट अपने जेब से बिस्कुट निकाला और कुत्तो की तरफ फेक दिया , कुत्ते भौकना बंदकर बिस्कुट पर टूट पड़े और अपना दूम हिलाने लगे / अंग्रेज़ अंदर गया जहा एक बाघ पिंजरे मे कैद था , बाघ अंग्रेज़ को देखते ही दहाडने लगा अंग्रेज़ बिस्कुट निकालकर उसकी तरफ फेका लेकिन उसका दहाडना बंद नही हुआ / अंग्रेज़ डरकर बाहर आया और बोला की यह कैसा देश है जहा कुत्ते तो स्वतंत्र है लेकिन शेर जंजीरो मे जकड़ा हुआ है /

यद्यपि यह एक प्रतिकात्मक दृष्टान्त है लेकिन इसमे अन्तर्निहित भाव बहुत गूढ़ और ब्यापक है , शब्दो को पकड़कर चलने वाले लोग इसे कभी नही समझ पायेगे / कुत्तो का भौकना बंद करने के लिये शेरो को दहाडने की छूट दीजिये /

राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय

रिटायर्ड उत्तर प्रदेश परिवहन निगम वाराणसी शिक्षा इंटरमीडिएट यू पी बोर्ड मोबाइल न. 9936759104