बाल कविताशिशुगीत

कुल्फी वाला

कालू आया, कालू आया,
कालू चाचा कुल्फी लाया,
नीली-पीली कुल्फी लाया,
रामू का भी मन ललचाया.

पीली कुल्फी खाऊंगा मैं,
अम्मा दे दो पैसे चार,
कुल्फी लेकर घर को आया,
कुल्फी खाकर हुआ बीमार.

उल्टी आई चढ़ा बुखार,
सौ से ऊपर डिग्री चार,
दुखा गला रामू चिल्लाया,
अम्मा ने डॉक्टर बुलवाया.

गोली दी और एक दवाई,
खाने की भी करी मनाही,
रहना हो जो स्वस्थ तुम्हें तो,
कुल्फी से रहो दूर ही भाई.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “कुल्फी वाला

  • लीला तिवानी

    बच्चों को कुल्फी बहुत अच्छी लगती है. कुल्फी वाले की आवाज सुनते ही बच्चे गाने लगते हैं-

    आया-आया कुल्फी वाला,
    आया-आया कुल्फी वाला.

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