उपन्यास अंश

उसकी कहानी भाग – ३

ब्लड कैंसर का अर्थ है खून का  बीमारियों से लड़ने की क्षमता का समाप्त हो जाना ।  बीच बीच में मुझे कई बार अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती होना  पड़ा । अत्यधिक कमजोरी, तेज बुखार में पत्नी जब मुझे लेकर अस्पताल जाती थी कोई पता नहीं रहता था घर वापिस आऊंगा कि नहीं, पर अब स्थिति भिन्न थी अब अपने आप को उसके हवाले सौंप दिया था । मैं जितनी बार भी अस्पताल गया हर बार उसे याद करता रहा । वहां का जगत कैसा होगा ? कैसा अनुभव होगा ?  हर बार मैं उसका धन्यवाद करता की  अब तो मिलन होगा । पर मैं उसकी कारगुजारियां देख कर  हैरान था  कुछ न समझ सका । वह आखिर चाहता क्या है ?

उसने मुझे मौका दिया बार बार दिया कि जितना अधिक हो सकता है  कर ले वरना अंतकाल पछतायेगा जब प्राण जाएंगे छूट ।

इसके लगभग एक वर्ष पश्चात ,  बात अगस्त २०१६ की है । मेरी पत्नी मिशन के आश्रम में दो सप्ताह के लिए दूसरे शहर गई थी । वहां सिर्फ मौन रहना होता है और ध्यान ध्यान और मौन । आपसे मोबाइल फ़ोन भी ले लिया जाता है । मैं घर में अकेला । खुद ही पकाओ खुद ही खाओ प्रभु के गुण गाओ ।

श्रीमती जी के जाने के एक सप्ताह बाद मेरे मुहँ, नाक और मल से खून बहना शुरू हो गया । शरीर पर लाल चकत्ते निकल आये । इमरजेंसी पहुंचाया गया ।  खून टेस्ट किया गया , ब्लड प्लेटलेट्स काउंट १ पर आ गया था । सामान्य व्यक्ति का ब्लड काउंट १५० से ४५० तक होता है । जब यह १० से नीचे आता है तो भीतरी रक्त स्त्राव शुरू हो जाता है । खून चढ़ाकर इसका इलाज किया जाता है ।  खून चढ़ाया गया ।

उस समय तो काउंट ३०-३५आ जाता था पर कुछ घंटे बाद दुबारा टेस्ट करने पर यह फिर १० से नीचे आ जाता था । ऐसा २-३ दिन तक चला । जितनी अधिक मुसीबतें समझो उतना अधिक वो मेहरबान उतना अधिक उसका आशीर्वाद आपके साथ । मुझे पूर्ण बनाने में वो कोई कसर  नहीं छोड़ रहा था ।

तीन कैंसर विशेषज्ञों ने मेरे बारे विचार विमर्श किया । अंत में निर्णय सुनाया आपकी जिंदगी ६-७ दिन बाकी है खून बहना बंद नहीं हो रहा ।  कैंसर के कारण इसका बहना बंद नहीं होगा । आंतरिक खून के स्त्राव से कभी भी मृत्यू हो जाएगी । क्या आपको कुछ पूछना है ? मेने कहा  कि मेरी पत्नी बाहर गई है ६ दिन बाद आएगी  उसके आने तक मैं कैसे जिन्दा रह सकता हूँ ? डॉक्टरों ने कहा की आप खून लेते जाईये एक दिन खून लेने से एक दिन जिंदगी बढ़ जाएगी ६ दिन रोज  खून लेते रहिये  ।

मुझे एक सच्ची घटना याद आ गयी ।बल्ख का एक नवाब था इब्राहिम । उसने बजार में एक गुलाम खरीदा । गुलाम बड़ा तेजस्वी बड़ा तगड़ा था । इब्राहिम उसे घर लाया । इब्राहिम उसे चाहने लगा । गुलाम था बड़ा प्रभावशाली । इब्राहिम ने पूछा तू  कैसे रहना पसंद करेगा । गुलाम ने कहा जैसे मालिक रखेंगे गुलाम की क्या मर्जी ?  इब्राहिम ने पूछा तू क्या पहनना पसंद करेगा क्या खाना पसंद करेगा ? उसने  कहा  मेरी क्या पसंद, मालिक जैसा पहनाये पहनूंगा जो खिलाये खाऊंगा .  इब्राहिम ने पूछा तेरा नाम क्या है ? उसने कहा मेरा क्या नाम? मालिक जिस नाम से बुलाएं वही मेरा नाम ।

इब्राहिम के जीवन में क्रांति घाट गयी । उसने पैर छुए इस गुलाम के और कहा तूने मुझे राज बता दिया । अब यही मेरा और मेरे मालिक का नाता है । तब से इब्राहिम शांत हो गया जो सालों से नमाज पढ़ने से नहीं हुआ था वह इस गुलाम के सूत्र से हो गया ।

मैंने भी सोच लिया जैसी मालिक की मर्जी ।

 

 

 

 

रविन्दर सूदन

शिक्षा : जबलपुर विश्वविद्यालय से एम् एस-सी । रक्षा मंत्रालय संस्थान जबलपुर में २८ वर्षों तक विभिन्न पदों पर कार्य किया । वर्तमान में रिटायर्ड जीवन जी रहा हूँ ।