लेख

हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी

कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है, ये तो सभी ने सुना ही होगा। लेकिन कुछ सीखने के लिए कुछ भूलना पड़ता है, यह पहली बार सुन रहें हैं। अाज कल इंग्लिश स्कूल्स का चलन इतना बढ रहा है कि- हर कोई अपने बच्चों को अंग्रेजी विद्यालय में भेज रहा है। और तो और इन विद्यालय के नियम भी बड़े अजीब है। कुछ विद्यालयों में तो हिन्दी में बात करने पर भी पाबंदी हैं और गलती से अगर किसी बच्चे ने हिन्दी में बात कर भी ली तो उसे या तो सजा दी जाती है या अभिभावकों को शिकायत भेजी जाती है। अब अगर हम स्कूल जाकर कहें कि- बच्चे ने हिन्दी में बात करके कौनसी गलती की है? तो स्कूल टीचर यहीं कहेगा कि- अगर एेसी बात है तो अपने बच्चे को किसी हिन्दी स्कूल में ही भर्ती करवा दो। अब लोगों को कौन समझाए कि इंग्लिश सिखाने के लिये अंग्रजी विद्यालय भेजा जाता है, हिन्दी भूलाने के लिए नहीं।
हमारें देश में अंग्रेजी बोलना बड़े ही शान की बात समझी जाती है। और अगर किसी को अंग्रेजी समझ में नहीं आती तो वह बड़ी ही शर्मिंदगी महसूस करता है। वहीं अगर किसी को सही हिन्दी बोलना या लिखना नहीं आए तो बड़े गर्व से इतराकर कहता है कि-“मेरी हिन्दी थोड़ी कमजोर है जी”। हम हमारी भाषा की कितनी इज्जत करते है इसका उदाहरण स्पष्ट नजर आ रहा हैं ।
एक बच्चे की स्कूल से शिकायत आई कि-आपका बच्चा स्कूल में अन्य बच्चों के साथ हिन्दी में बाते करके स्कूल के रूल्स तोड़ता है ।बच्चे के माता-पिता ने उसे समझाया कि- बेटा स्कूल में हमेशा इंग्लिश बोला करो। बच्चे ने बड़ी ही मासूमियत से कहा कि- क्यों मम्मी हिन्दी बोलना गलत बात होती है क्या? क्या कोई उस बच्चे को इस सवाल का तथ्यपरख जवाब दे सकता है? अगर बच्चे को कहें कि- हिन्दी बोलना तो गर्व की बात होती हैं तो बच्चा यही सवाल करेगा कि उसे स्कूल में हिन्दी बोलने पर क्यूँ डांटा गया? अब जो घटना मैं आपसे कहने जा रही हूँ उसे पढ़कर आप सभी दंग रह जाएंगे। मैं एक इंग्लिश स्कूल में पढाने गई। वहाँ तीसरी कक्षा के बच्चों का टेस्ट लिया गया। मैंने सोचा कि छोटे बच्चे है इसलिए सरल सवाल ही दूंगी। मैंने पेपर में एक सवाल दिया कि- हमारी राष्ट्रभाषा कौनसी है? बच्चों के जवाब पढकर मैं तो दंग रह गई!अधिकतर बच्चों ने इस सवाल का जवाब गलत ही दिया ।वहीं कुछ बच्चों ने जवाब में लिखा कि- हमारी राष्ट्रभाषा अंग्रेजी है। मैं सोचने लगी कि आखिर बच्चे इतने आसान से सवाल का जवाब क्यों नहीं दे पाएं?शायद बच्चों को पता नहीं होगा। सभी लोग अंग्रेजी को इतना महत्त्व देते हैं इस कारण बच्चे ने अनुमान लगाकर जवाब में अंग्रेजी लिख दिया।
ये हमारे देश के लोगों को हो क्या गया है। हिन्दी भाषा के लिए सिर्फ एक दिन निर्धारित कर दिया, ताकि हमें यह याद रहें कि हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है। इस दिन हिन्दीं के गुणगान करों। इस देश में जो महत्त्व हिन्दीं को मिलना चाहिए वो महत्त्व वो स्थान उसे नहीं मिल रहा है। यह वर्तमान का कटु सत्य है। अंग्रेजी का बढता प्रचलन और हिन्दी की वर्तमान स्थिति अत्यन्त ही चिन्तनीय विषय है। जबकि हम भूल जाते है कि वे सभी राष्ट्र जो अपनी मातृभाषा को सम्मान देकर सारी शिक्षा व्यवस्था व शासकीय व्यवस्था अपनी मातृभाषा में करते है। बहुत तेजी से विकास कर रहे है। जैसे चीन, जापान, जर्मनी आदि। और हमारे बच्चे दो भाषाओं के चक्रव्यूह में फंसकर रह गये।
आप सब ये तो नही सोच रहे कि आज हिन्दी दिवस तो नही है! नहीं आज हिन्दी दिवस नहीं है लेकिन हिन्दी आज भी हमारी राष्ट्रभाषा है।
जय हिन्द!
                            

नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- neetusharma.prasi@gmail.com