गीतिका/ग़ज़ल

एक ज़माना बीत गया…

दिल में दिल का दर्द दबाये एक ज़माना बीत गया
मेरे होठों को मुस्काये एक ज़माना बीत गया

आवाजें देती है मुझको यूँ तो ये सारी दुनिया
अपनों को आवाज लगाये एक ज़माना बीत गया

दुनिया और जहां की बातें पल पल हमने की लेकिन
मन को मन की बात बताये एक ज़माना बीत गया

होठों पर मुस्कान सजाये गीत सुनाने वालों को
मन वीणा का साज बजाये एक ज़माना बीत गया

केवल खाली पैमाने हैं तन्हाई की महफिल में
सागर से सागर टकराये एक ज़माना बीत गया

सावन आया बादल बरसे लेकिन बरसे सागर में
मन सहरा को आस लगाये एक जमाना बीत गया

— सतीश बंसल
२८.०२.२०१७

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.