कविता

नारे ही नारे (योग)

1. योग को भलीभांति अपनाओ,
तन-मन-प्राण को स्वस्थ बनाओ.

 

 

2.ध्यान से साधो श्वास-प्रश्वास,
योग जगाए दृढ़ विश्वास.

 

 

3.ध्यान-धारणा-धैर्य जगाओ,
योग से सहनशीलता पाओ.

 

 

4.आसन लगाओ, करो व्यायाम,
सबसे उत्तम प्राणायाम.

 

 

5.बुद्धि-प्राण-तन करें विकास,
योग से मन को मिले उजास.

 

 

6.सत्य-अहिंसा-शील बढ़ाए,
आत्म-सुरक्षा योग सिखाए.

 

 

7.तन-मन तनाव मुक्त बनाओ,
प्राणायाम से शांति पाओ.

 

 

8.योग बनाए अंतर्मुखी,
अंतर्मुखी : सदा सुखी.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244