कविता

कविता – कोशिश

अपनी
जिन्दगी को
शिद्दत के साथ जीने की
मेरी हमेशा होती है
पुरजोर कोशिश
मकसद होता है
हर लम्हे को जीना
अपने वजूद की सुनना
अपने ज़ज्बातों को समझना
पर जाने क्यों ऐसा होता है
बेकार जाती है….
मेरी हर कोशिश
कुछ नहीं होता हासिल
दूर ही रह जाती है मंजिल
अन्दर ही अन्दर घुटता हूँ
सवाल करता हूँ खुद से
मै अक्सर तन्हाई में
आता है जबाब जेहन से
सन्नाटे भी देते हैं आवाज़
सुना भी जा सकता है जिसे
बस जरुरत होती है
एक अदद कोशिश की
दमदार कोशिश की…
समझ लेता हूँ इशारा
कोशिश करता हूँ पाने की
एक बार फिर मंजिल….

राजेश सिन्हा

राजेश सिन्हा

नाम –राजेश कुमार सिन्हा शिक्षा –स्नातकोत्तर (अर्थशास्त्र ) सम्प्रति –एक सरकारी बीमा कंपनी में वरिस्ठ अधिकारी निवास –मुंबई फिल्म और सामाजिक विषयों पर नियमित लेखन राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न पत्र –पत्रिकाओं में हजार से अधिक रचनाएं प्रकाशित प्रकाशन –सिनेमा के सौ वर्ष पर “अपने अपने चलचित्र “ एक साझा काव्य संकलन –‘कुछ यूँ बोले एहसास’ का संपादन एक काव्य संकलन और “छोटा पर्दा –अतीत के आईने में” –प्रकाशनाधीन भारत सरकार के फिल्म प्रभाग के लिए दो दर्ज़न से अधिक डॉकयुमेंट्री फिल्मो के लिए कमेंट्री लेखन और एक फिल्म “दी ट्राइबल वीमेन आर्टिस्ट “ को नेशनल अवार्ड भी