मुक्तक/दोहा

सुन लो मोदीजी

फिर से कुछ गीदड़ शेर का सीना छलनी कर गए,
मेरे वतन तेरे आँचल पर लहू के दाग नहीं सुहाते।
कितनी बार खा चुके है मात जंग के मैदान में,
ये कुत्ते मगर अपनी करनी से बाज नहीं आते।
**** ****
अब बातों से फिर हमे न बरगलाना मेरे सरकार,
हुक्मरानों की जुबां से बच्चा बच्चा वाक़िफ़ है।
शहीद आए है लिपट कर जिसमे अपने घरो को,
हर हिन्दुस्तानी उसी तिरंगे का आशिक है।
**** *****
‘दवे’ये कलम तो तेरी खून के अश्क रो रही है,
मगर हिन्दोस्तां की बंदूके,तोपे,मिसाइले सो रही है।
हम कवि पृथ्वीराज है अपनी कलम रुकने नही देगे
प्रताप हो तुम,तुम्हे अकबर के सम्मुख झुकने नहीं देंगे।

विनोद दवे

नाम = विनोदकुमारदवे परिचय = एक कविता संग्रह 'अच्छे दिनों के इंतज़ार में' सृजनलोक प्रकाशन से प्रकाशित। अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत। विनोद कुमार दवे 206 बड़ी ब्रह्मपुरी मुकाम पोस्ट=भाटून्द तहसील =बाली जिला= पाली राजस्थान 306707 मोबाइल=9166280718 ईमेल = davevinod14@gmail.com