कविता

जोगीरा सा रा रा रा (बेख़बर देहलवी)

आप सभी के समक्ष एक नयी रचना जिसका शीर्षक है “जोगीरा सा रा रा रा”आप सब का प्यार मिले इसी चाह मे-
!! बुरा न मानो होली है !!

होली सजाये सतरंगी रंगो से मन मे हो उमंग
हो आचरण शुद्ध चाहे कितनी भी पी हो भंग
जोगीरा सा रा रा रा………………………..
कन्हैया का रंग हो और हो राधा का गुलाल
रिश्तो के रंगो मे सजेे ना हो कोई भी मलाल
जोगीरा सा रा रा रा………………………..
नेताओ से गधा लड़ रहा लड़ता गधे से नेता
सियासत मे बाप दब गये हुक्म चलाये बेटा
जोगीरा सा रा रा रा……………………….
कुर्सी मिलते ही सारे नेता खुब करते है एैस
अपराधियो को छोड़कर पुलिस ढ़ुढ़े है भैस
जोगीरा सा रा रा रा……………………….
विकाश अभी भी पैदा नही जनता है कंगाल
देखिये ये सियासती गधे हो रहे है मालामाल
जोगीरा सा रा रा रा………………………..
पप्पु को मेच्योर करने हेतू मम्मी करे प्रयास
पोगो देखना कब बंद करेगा उनकी है आस
जोगीरा सा रा रा रा……………………….
सारे नेता निकाल रहे है इक दुजे की खाल
रात साथ मे पउवा गटके गले मे बाहे डाल
जोगीरा सा रा रा रा………………………
योजनाओ के नाम पर नेताजी चाटते माल
इनके अपने अमीर हो रहे देश होता कंगाल
जोगीरा सा रा रा रा………………………..
गले मे मफ़लर पैर मे चप्पल ये आम कमाल
जिस सीढ़ी से चढ़े कहा है वो जनलोकपाल
जोगीरा सा रा रा रा………………………..
टुटा फुटा साहित्य अब नीत हो रहा मजबुत
सारे सेवक लगे पड़े है जो अब तक थे बूत
जोगीरा सा रा रा रा……………………….

साहित्य सेवक-
बेख़बर देहलवी
व्हाटसप-9958775141
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बेख़बर देहलवी

नाम-विनोद कुमार गुप्ता साहित्यिक नाम- बेख़बर देहलवी लेखन-गीत,गजल,कविता और सामाजिक लेख विधा-श्रंगार, वियोग, ओज उपलब्धि-गगन स्वर हिन्दी सम्मान 2014 हीयूमिनिटी अचीवर्स अवार्ड 2016 पूरे भारत मे लगभग 500 कविताओं और लेख का प्रकाशन