सामाजिक

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

८ मार्च को हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मानते है। यह गौरव की बात है। लेकिन यह कागजों में दबकर या [दिखावा] आडम्बर मात्र हो तो बड़ा दुख होता है। नारी परिवार का अभिन्न अंग होती है, उनके शोषण की शुरूवात भी परिवार से होती है। पुरुषवादी समाज में स्त्री शोषण में कभी- कभी खुद स्त्रियाँ उसकी सहयोगी होती हैं। बेटा -बेटी में अंतर -बेटीबहू अधिकाधिक अंतर देखा जाता है। अगर बेटी को बेटे के समान बहू को बेटी के समान, बहू द्वारा सासू को माँ के समान समझें तो समस्या का निदान हो सकता है। हमे इस मामले मे अपना नज़रिया बदलना चाहिए। नारी कोई वस्तु नहीं बल्कि आपकी माँ बहन बेटी, पौत्री, पत्नी आदि के रूप में आपकी सहभागी है।

मै इस प्रायोजनवादी समाज से पूछता हूँ आख़िर उनके साथ अन्याय एवम् शोषण क्यों होता है ? उन्हें सम्मान ही नहीं बल्कि अधिकार चाहिए। स्त्री का बढ़ता रुतबा देख उन्हें ईर्ष्या क्यों ? कुछ कट्टर पंथी विचारधारा के अनुयायी उन्हें परदे में क्यो रखना चाहते हैं। ऐसे समाज से गुज़ारिश करता हूँ मलाला युसुफ़ज़ई, तसलीमा नसरीन आदि द्वारा यथार्त को दर्शाना, जनजागरूकता लाना कौन सा अपराध है ? सरकारें सिर्फ़ ढोल पीटती हैं। खुद के अंदर झाँकने का प्रयास नहीं करती। भारत में ३३ प्रतिशत आरक्षण की बात की जाती है क्यों उसे ५० ना किया जाय। जब ३३ मिलने भारी हैं ५० प्रतिशत भगीरथ ही होगा। लिखना अभी शेष है। समयाभाव है। अंततोगत्वा हम यही कहेंगे हमे अपने नज़रिए को बदलना होगा। प्रकृति और पुरुष रथ के दो पहिए है। एकांगी व्यवस्था से कभी भी समाज का कल्याण नहीं हो सकता।

राजकिशोर मिश्र ‘राज’ प्रतापगढ़ी

राज किशोर मिश्र 'राज'

संक्षिप्त परिचय मै राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी कवि , लेखक , साहित्यकार हूँ । लेखन मेरा शौक - शब्द -शब्द की मणिका पिरो का बनाता हूँ छंद, यति गति अलंकारित भावों से उदभित रसना का माधुर्य भाव ही मेरा परिचय है १९९६ में राजनीति शास्त्र से परास्नातक डा . राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय से राजनैतिक विचारको के विचारों गहन अध्ययन व्याकरण और छ्न्द विधाओं को समझने /जानने का दौर रहा । प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश मेरी शिक्षा स्थली रही ,अपने अंतर्मन भावों को सहज छ्न्द मणिका में पिरों कर साकार रूप प्रदान करते हुए कवि धर्म का निर्वहन करता हूँ । संदेशपद सामयिक परिदृश्य मेरी लेखनी के ओज एवम् प्रेरणा स्रोत हैं । वार्णिक , मात्रिक, छ्न्दमुक्त रचनाओं के साथ -साथ गद्य विधा में उपन्यास , एकांकी , कहानी सतत लिखता रहता हूँ । प्रकाशित साझा संकलन - युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का उत्कर्ष संग्रह २०१५ , अब तो २०१६, रजनीगंधा , विहग प्रीति के , आदि यत्र तत्र पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं सम्मान --- युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच से साहित्य गौरव सम्मान , सशक्त लेखनी सम्मान , साहित्य सरोज सारस्वत सम्मान आदि