कहानी

सच्ची कहानी सात फेरों के बाद सात घंटे में हुई विधवा

सच्ची कहानी
सात फेरों के बाद सात घंटे मंे हुई विधवा
इंसान की जोड़ी तो उपर से बनकर आती है लोगों का ऐसा मानना है एक दूसरे का मिलन कराना मात्र एक औपचारिकता ही है ये औपचारिकता निभाना भी जरूरी है क्योंकि यह एक ऐसा अवसर होता है जब घर परिवार से लेकर दूर दराज के रिस्तेदार व मित्र एक साथ एक स्थान पर एकत्र होते हैं और वैवाहिक बधाई देने के लिये सभी आतुर रहते हैं पर किसी को क्या पता कि सात फेरे लेने वाली दुल्हन सात घंटे में विधवा बन जायेगी।
दिन था 6 मार्च 2017 स्थान थाना जैदपुर के बरैंयां गांव के निवासी रमेंश चन्द्र शर्मा के घर शादी का महौली पूरी रवानी पर था, चारों ओ ढोल तासे बज रहे थे घर मै मौजूद सभी लोग खुशी से झूम रहे थे दूल्हे को भी बडे भावों से सजाया जा रहा था यार मित्र व रिस्ते दार घर के बाहर नाच गा रहे थे धीरे धीरे समय गुजरता गया शाम को वह समय आया जब दुल्हा अपने सभी रिस्तेदारों के साथ घर से निकाला हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार इस पल को निकाली या जौनासा कहा जाता है इस जौनासे में सभी लोग अरगन बाजा के धुन में नाचते गाते है पूरी तरह से मौज मस्ती करते है उसके बाद दुल्हे की मां के द्वारा इसी समय में कुछ रस्में भी अदा की जाती है इस रस्म में एक रस्म देखी जाये तो सबसे घास रस्म मानी जाती है कि दुल्हे की मां एक कुंए में पैर लटका कर बैठती है यह सोंचकर की मेरा बेटा आज अपनी पत्नी को लेने जा रहा है हो सकता है कि पत्नी के आ जानें पर मुझे मानना छोंड दे परन्तु दुल्हा आता है अपनी मां के सात फेरे लेके मां को बचन देता है और मां हाथ पकड कर उठाता है कि मां उठो में कमाउंगा तुम खाओंगी मेरे होते हुये तुम्हे कोई परेशानी नही होगी। दुल्हे के द्वारा यह वचन देने के बाद दुल्हे के गांव से बारात को बिदा कर दिया जाता है। किसी को क्या पता था कि जो दूल्हा आज घर से अपनी ससुराल जा रहा है अब वह कभी वापस नही आयेगा।
शाम लगभग 7 बजे बारात अपने गंतब्य की ओर प्रस्थान करती है धीरे धीरे समय बीतने के बाद दुल्हा अपने ससुराल पहुंचा तो वहां पर गोले दाग कर व आतशबाजी करके दुल्हे का एवं दुल्हे साथ आये सभी लोगों का बडा ही भव्य स्वागत किया गया। दुल्हन के गांव चक में दुल्हे के साथियों द्वारा द्वार पूजा में नाच गाने भी किये गये पूरा महौल खुशियों से लबा-लब था, बडे अरमानें से दुल्हन के पिता ने द्वार पूजा की रस्म को अदा किया उसके बाद सभी बारातियों को बडे आदर से भोजन कराया गया, उसके बाद वैवाहिक रस्मों को अदा करने का समय शुरू हो गया। आने वाला पल किस तरह की मुसीबत पैदा करेगा यह तो समय के गर्भ में ही पल रहा था।
रात लगभग 11 बजे दूल्हा दुल्हन के घर के अन्दर छाये मण्डप में बुलाया गया मंत्रोच्चार के बाद दूल्हे को उचित स्थान पर बडे आदर के साथ बैठाया गया, उसके बाद नौ ग्रह, कुुल देवता, व सभी देवतओं की अर्चना की गयी उसके बाद दुल्हन को मण्डप में बुलाया गया एक लम्बी पूजा करनें बाद दूल्हा के वचन दूल्हन को सुनाऐ गये जिसमें दूल्हन ने अपनी सहमति प्रदान की उसके बाद दूल्हन के सात वचन दूल्हे को सुनाए गये दूल्हे ने भी अपनी सहमति प्रदान की उसके के बाद आर्चाय जी ने अग्निी के सात फेरे दूल्हा- दूल्हन से लगावाये अब दोनों दाम्पत्ति जीवन को सुचारू रूप से जीने के लिये वचनबद्ध थे मण्डप के नीचे मौजूद सभी लोगों से वर-कन्या को युगो – युगों तक जीने का आशीष भी दे डाला उसके बाद कन्या पक्ष द्वारा वर-कन्या को जुवां खेलवाया गया। (हमारे हिन्दू समाज ये रस्म है कि जब वर-कन्या का विवाह हो जाता है तो उसी रात दूल्हन की भाभी के द्वारा एक थाली में पानी भरा जाता है उसके बाद उस थाली में सोने या चांदी से बने वस्तु को डाला जाता है फिर वर-कन्या दोनों को निकालनें को कहा जाता है यह रस्म सात बार अदा की जाती है उसमें यह देखा जाता है कि पानी में गिरी वस्तु को पहले कौन पाता है और कितनी बार इसी गिनती से हार जीत का फैसला किया जाता है) उसके लगभग भोर का पहर हो जात है तब दूल्हे को बडे आदर के साथ फिर बारात भेज दिया जाता है।
सुबह के लगभग 7 बजे रहे है दूल्ह पूरी तरह से नहाये धोये इत्र आदि डाले एक बार फिर दूल्हन के घर जानें के लिये तैयार हो जाता है दूल्हन के घर का नाई बारात को कलेवा की रस्म अदा करनें का संदेशा लेकर आता है फिर क्या दूल्हा, दूल्हे के छोटे भाई, व दूल्हे के मित्र, दूल्हे पिता, चाचा, आदि सभी लोग दूल्हन के दहलीज पर पहुंच जाते है और दूल्हे के लिये मण्डप के नीचे बिस्तर लगाया जाता है जहां पर दूल्हे राजा को बैठाया जायेगा सभी लोगों को बडे आदर से मण्डप के नीचे बैठाया गया कन्या पक्ष की ओर से दूल्हे को अनेको उपहार मिले जो जिस काबिल था उसने वैसा उपहार दे डाला, अब कलेवा हो रहा है तो साली भी अपनी रस्म अदा करनें मेें कहां चूंकती है उसने भी दूल्हे का एक जूता उठानें में जरा सी भी हिचकिचाहट नही समझी फिर क्या उसके बाद पहले जूते, पहले पैसा का प्रोग्राम शुरू हुआ खैर किसी तहर मामला शांत हुआ। जीजा साली की यह पहली और आखिरी नोक- झोंक थी।
सुहब के लगभग 9 बजे रहे थे जहां पर कन्या पक्ष के लोगों की आंखें अश्कों से डबडबाई हुई थी कि उनकी लाडली आज इस घर से जा रही है सभी दूल्हन की मां, बाप, भाई, चाचा, चाची, नाना, नानी आदि सभी लोगों का रो रोकर बुरा हाल हो रहा था, दूल्हन को नये घर में बोरियत न महसूस हो इस लिये दूल्हन ने अपने चचेरी बहन को भी अपने ससुराल ले जानें के लिये तैयार कर रखा था। यह संयोग ही था दुल्हन को क्या पता था कि जिस मुहंबोली बहन को अपने साथ ले जा रही है वह भी मुसीबत में घिर जायेगी।
विदाई का गोला दगा, एक गाडी थी जिसमंे दूल्हा-दूल्हन, व दूल्हन की चचेरी बहन, दूल्हा के दो भतीजे व वाहन चालक सहित 6 लोग बडी हंसी खुशी से बैठे थे अपने घर जाने के लिये गाडी दूल्हन के गांव से लगभग छ सात किलोमीटर अपनी ससुराल की ओर बढ भी चुकी थी, शायद विधाता को नही मंजूर था यह जोडी, शायद अपनी बूढी मां से किया गया वादा वह वह नही निभाने वाला था, शायद कन्या को अपने वर के साथ रहने की अवधि पूरी हो चुकी थी! कि अचानक लगभग 11 बजे दूल्हे की गाडी के सामने से आ रही एक और दूल्हे की गाड़ी ने जोर दार टक्कर मार दी, टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि घटना स्थल पर ही दूल्हे की मौत हो गयी। दूल्हे के सभी साथी अपने- अपने हिसाब से अलग – अलग रास्तों से घर पहुंचे लगे थे शायद इसी वजह से दूल्हे के साथ और कोई वाहन नही था। दूसरी बारात की गाडी ने टक्कर मारने के बाद दूल्हा, दूल्हन, व उसके अन्य सथी वाहन छोंड को तुरन्त फरार हो गये, किसी को कुछ पता नही कि यह दूल्हे की गाड़ी कहां की है, और कहां जा रही थी, उधर दूल्हन क्रांति खून से लथ-पथ तड़प रही थी, दूल्हन की चचेरी बहन साधना बेहोस गेंहूं की खेत में पडी उसके शरीर से भी खून की लगातार बह रहा था दूल्हे के दो भतीजे ऋतिक व मोहिनी को भी बुरी तरह से चोटिल होकर खून से लथ-पथ था यह इतना भयानक मंजर था कि राह पर चले वाले राहगीरों के के आंखों में आंशू आ गये इस हादसे को देखकर शायद उस जगह के सभी जीवों पर वजा्रघात हो गया हो।
जब ग्रामींण घटना स्थल पर पहुंचे तब तक चालक को होश था उसने कुछ बताया उसी आधार पर ग्रामींणों ने पुलिस को सूचना दी।हादसे की सूचना जंगल की आग तरह धीरे – धीरे चारो ओर फैल गयी, अपनी नयी नवेली वहू के इंतजार में बैठी दूल्हे की बाट जोह रही थी वहू के आगमन की पूरी तैयार दूल्हे के घर पर थी घर में मौजूद सभी महिला पुरूष दून्लहन को देखने के लिये लालायित थे। घटना की सूचना मिलते ही मानें घर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो अधिकांश महिलाये इस समाचार की सूचना को सहन नही कर सकी सुनते ही बेहोश हो गयी, कुछ लोग रो रो कहने लगे कि सह सच नही हो सकता है! परन्तु सच तो यही था! चरो ओर हाहाकर मच गया कोई किसी को समझाने वाला नही था इस कोहराम ने सभी के सिर पर गम का इतना बडा बोझ लाद दिया था कि सब बदहवास नजर आते थे। जब मै उनके घर पहंुचा तो वहां का माहौल देखकर मै भी अपने आंशू रोक नही पाया मेरे साथ गये मेरे सहयोगी ने मुझे समझाया और यह भी कहा की अखबार लाईन के दस साल में ऐसी घटना देखी गयी है इससे पहले दर्दनाक हादसे देखे परन्तु इस तरह का दर्दनाक हादसा नही देखा। खैर मै भी अपने काम पर लग गया कुछ ही देर में धीरे -धीरे सब पता लगा लिया।
दूल्हन के पिता का घर तो पूरी तहर से उजड़ चुका था, दूल्हन के पिता व दूल्हन के अरमानों पर कि चिताएं धू-धूकर जल रहीं थी किसी को कुछ समझ में नही आ रहा था कि अब क्या किया जाये, उधर पुलिस प्रशासन अपनी रस्म अदा कर रही थी दूल्हे के शव को शील कर पीएम के लिये जिला अस्पताल भेजने की तैयारी बना रहा था और दूल्हन व दूल्हन की चचेरी बहन, व दूलहे के दोनो भतीजे को तत्काल उपचार के लिये एम्बुलेंस से जिला अस्पताल भेजा जहां पर डाक्टरों ने हालत नाजुक देखते हुये आगे लखनऊ के ट्रामा सेन्टर रेफर कर दिया।
दूल्हे को पहुंचना था अपने घर दूल्हन को पहंुचना था अपनी ससुराल परन्तु दोनो एक जगह न पहंुच तक अलग- अलग स्थानों पर पहुंची दूल्हा पहुंचा पीएम हाउस और दुल्हन पहुंची ट्रामा सेन्टर।
शायद विधाता को इनका दाम्पत्य जीवन रास नही आया, किस को पता था कि आज दूल्हा बनकर घर से निकल रहे है वो फिर कभी वापस नही आयेगे। मॉ सर पटक- पटक कर भगवान से कह रही थी कि मेरी जान ले लो परन्तु मेरे बेटो को वापस घर भेज दो! परन्तु अब क्या अब तो पंक्षी पिंजडा से उड़ गया, दाने डालो या मोंती बिखेर दो अब वापस आने वाला नही है।
अभी यहीं तक आगे जारी है-

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782