बालोपयोगी लेख

आइए कविता लिखना सीखें- 3

प्रिय बच्चो,

होली मुबारक हो,
कविता-लेखन के प्रयास में आइए सबसे पहले होली पर कविता की कुछ पंक्तियां देखते हैं-

होली-
होली का हुड़दंग है,
बज रही मृदंग है,
जिधर नज़र जाती है अपनी,
दिखते रंग-ही-रंग हैं.

गुलदस्ता-
फूलों से गुलदस्ता बनता,
गुलदस्ते की अनुपम शान,
देश के लोग हों अनुशासित तो,
बनता अपना देश महान.

धरा पर हरियाली-
मुस्काते हों चेहरे सबके,
रहे धरा पर हरियाली,
हे प्रभु करुणा करते रहना,
बढ़े जगत में खुशहाली.

राष्ट्र पक्षी मोर-
प्रभु कार्तिक की मैं हूं सवारी
पक्षीराज कहलाता हूं
भारत का मैं राष्ट्र पक्षी हूं
बच्चों के मन को भाता हूं.

राष्ट्रीय एकता-

आज एकता की चाहत ने
फिर हमको ललकारा है
एक साथ सब मिलकर बोलो
भारत देश हमारा है.

अगली बार आप भी कुछ लिखकर भेजेंगे, इसी आशा के साथ-

आपकी नानी-दादी-ममी जैसी

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244