कविता

कह दो !

कभी थमती कभी उभरती
ह्रदय की उन भर्मित धड़कनो ने
छेड़ा है फिर मधुर अहसास
जो कहता है बार बार
कह दो ! कह दो इक बार
वो जो कहना था तुमको
हमराही से अपने कभी
कह दो न सोचो फिर
न जाने फिर वो हमराही
हमसफर न बनकर राहें
जुदा कर अपनी मंज़िल
को तलाशता चला जाए
न फिर लौटे कभी
उस राह पर यहां
तुम उससे मिले थे यूं !

कामनी गुप्ता ***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |