बाल कविता

काव्यमय कथा-11 : दयालु शेर, दिलेर चूहा

एक शेर जंगल में सोया,
मीठे सपने देख रहा,
चूहा एक शेर के ऊपर,
उछल रहा और कूद रहा.

पंजे में ले शेर ने उसको,
कहा, ”अब तुझको मैं खाऊंगा,
बोला चूहा, ”दया करो कुछ,
काम कभी मैं आऊंगा.”

शेर फंसा जब जाल में तब वह,
खूब दहाड़ा-गुर्राया,
उसकी गुर्राहट को सुनकर,
झट चूहा बाहर आया.

कुट-कुट करके जाल काटकर,
जान बचाई शेर की,
कहा शेर ने, ”तुम हो काम के,
साथ ही बहुत दिलेर भी.”

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244