बाल कविता

काव्यमय कथा-13 : मीठी-मीठी बातों से सदा बचो

गीदड़ तीन देख हाथी को,
खाने को थे ललचाए,
बिना किसी तरकीब के हाथी,
बस में कैसे आ पाए?

गीदड़ गठरी लेकर धन की,
बोले, ”हाथी मामा जी,
नदी पार करके दिखलाओ,
बनवा देंगे पजामा जी.”

नदी पार करने को जैसे,
हाथी उतरा पानी में,
दलदल में फंसकर पछताया,
छला गया नादानी में.

फंसे हुए हाथी पर तीनों,
गीदड़ टूट पड़े थे,
मीठी बातों में हाथी को,
खोने प्राण पड़े थे.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244