बाल कविता

काव्यमय कथा-15 : जैसी करनी, वैसी भरनी

हाथी एक रोज़ जाता था,
पास एक दर्ज़ी के,
दर्ज़ी उसको रोटी देता,
हाथी करता ”नमस्ते”.

एक बार दर्ज़ी ने उसको,
सूंड में सुई चुभो दी,
गुस्सा आया हाथी को भी,
दोस्त ने दोस्ती खो दी.

हाथी गया नदी पर सीधा,
खूब नहाया मलकर,
सूंड भरी कीचड़ से उसने,
आया दर्ज़ी के घर.

सारी कीचड़ उसने डाली,
दर्ज़ी के कपड़ों पर,
करनी का फल पाकर दर्ज़ी,
पछताया जी भरकर.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244