कविता

सादर नमन, शहीदी दिवस

मात्रा भार- 16+16= 32…….

झूल गए फंदे पर वीरा, भाई तीनों हँसते हँसते

सिंह भगत सुखदेव राजगुरु, दिए शहीदी लड़ते लड़ते

धन्य मातु है देश धन्य है, मान्य धन्य चीर धन्य धनी

उनके पथपर चल रे गौतम, राह दिखाए मरते मरते॥

आज शहीद दिवस यह कहता, मेरा दिन क्यूँ एक रे साथी

रात दिवस हम एक किए थे, एक एक पल पल था घाती

अंधेरों में लड़ लड़ आती, रही टोलियाँ अरमानों की

मन मन में जज़्बात आजादी, तन तन था निश्छल संघाती॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

 

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ