लघुकथा

ख़ुशी का अनुभव

स्कूल में भोजन के लिए मध्यान्ह अवकाश का समय था । अन्य सभी बच्चों की तरह दीपू भी अपनी टिफिन लेकर भोजन करने बैठा था । टिफिन खोलते ही उसकी नजर स्कूल ग्राउंड के बाहर बैठी एक अधेड़ महिला पर पड़ी । अपने पहनावे से ही वह काफी गरीब लग रही थी और शायद भूखी भी । 

दीपू अचानक उठा और उस महिला को अपनी टिफिन देते हुए बोला “ऑन्टी ! लगता है आपको भुख लगी है । लो खा लो ”
” नहीं नहीं बेटा ! मुझे भुख नहीं लगी है आप खा लो ! “कहते हुए उस महिला ने स्नेह से इंकार किया था । लेकिन दीपू कहाँ माननेवाला था । उसके कई बार आग्रह करने के बाद वह महिला दीपू के टिफिन से एक रोटी और सब्जी लेकर खाने लगी ।
उसे खाते देख दीपू का बालमन काफी खुश हुआ । आज उसने अपनी कक्षा में सुविचार पढ़ा था ‘ खुशियां बांटने से बढ़ती हैं ‘  और इसी बात को वह प्रत्यक्ष अनुभव कर रहा था ।

 

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।