राजनीति

अब राम मंदिर विवाद समाप्त हो

अब वो समय आ गया है कि अयोध्या मे राम मंदिर विवाद को खत्म कर देना होगा। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने जब कह दिया कि out of court दौनो पक्ष मिल बैठकर फैसला कर ले तो मुस्लिम धर्मगुरूओ को परेशानी क्यों हो रही है? वो क्यों नहीं तैयार हो रहे है। इनका ये विरोध साफ दर्शाता है कि ये मुस्लिम धर्मगुरूओ को चिंता खाई जा रही है कि अगर इस विषय का अंत हो गया तो जो मुद्दा उन्हें इस धर्म के बाजार का हीरो बनाया है मुद्दा के समाप्ति के बाद उन्हें बेकारी के तरफ ढकेल देगी और उनकी दुकादारी खतरे मे पड़े जाऐगी। अगर देखा जाऐ तो भारत के 90% मुसलमानों को मंदिर -मस्जिद विवाद से कुछ लेना देना नहीं है ब्लिक बहुत से मुसलमान मंदिर के पक्षधर है। एक बात पे गौर करे ये बाबरी मस्जिद कहते है क्या कोई मुसलमान बाबरी को की पूजा करता है, नहीं न। फिर? काहे का बाबरी मस्जिद? दूसरी बात अयोध्या राम की जन्मभूमि है इसपे किसी भी संप्रदाय को शक न होनी चाहिए तो श्री राम का मंदिर वहाँ नहीं बनेगा तो क्या लाहौर मे बनेगा। तीसरी बात ईद-बकरीद ईत्यादि ऐसे बहुत से मौकों पे हमारे मुसलमान भाई मस्जिद के बाहर रोड पे नमाज पढ़ते है तो तब क्या उनको मस्जिद याद नहीं रहती है। हिन्दुस्तान मे पूर्व मे हम हिन्दूओ के कितने मंदिर तोड़ दिये गये और हमारी सहनशीलता देखें कि हम चुप रहे। विभिन्न राजनीतिक दल अपने वोटों की राजनीति मे भले ही वो इस मुद्दे पे राजनीति भाषा का प्रयोग करते हो पर वो भी दिल से अयोध्या मे मंदिर निर्माण के पक्षधर ही है। अगर वो बहुत ही सैक्यूलर है तो मस्जिद मे माथा टेक कर दिखाऐ आवाम को। वो क्यों श्री राम को पुजते है न पुजे। भारत के 125 करोड़ की जनता की आबादी के85%जनता मंदिर निर्माण के पक्ष मे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहमत हैं। ये सच्चाई है।
अतः अब वो समय आ गया है जब केंद्र और राज्य सरकार एक ही दल की है और विवाद का कोई गुंजाइश नहीं है जितना जल्द हो समय रहते इस मुद्दे को समाप्त करे क्योंकि इसके अलावे और भी बहुत सी सम्सयाऐ है देश मे जिसका समाधान करनी है। भारत की जनता ये कभी नहीं चाहेगी कि सिर्फ़ इस मुद्दे पे ही सरकार ऊलझकर देश की विकाश की गति धीमी या अवरुद्ध हो जाए।

— मृदुल शरण