कविता

माँ

माँ, तू नहीं इस दुनियां में
पर, तेरी यादें सदा मेरे साथ है

तू, सिर्फ दिखती नहीं लेकिन मैं ये बात जानती हूँ
माँ मरकर भी, अपने बच्चे से कभी जुदा होती नहीं

तू है! यहीं कहीं मेरे आसपास ही
एक अदृश्य शक्ति के रूप में
मुझे होता है तेरा पल-पल आभास

जब टूटने लगती है मेरी हिम्मत, धैर्य
तब तू ही तो भरती है मुझमेँ साहस

माँ तू सुन रही है ना मुझे बोल….
देख मेरी आँखें नम हो रही हैं

जानती हूँ मैं, तू भी रो रही होगी
माँ पोंछ ले अपने आँसू मत रो….

अब तेरी बेटी बड़ी हो गई
समझती है घर,परिवार की जिम्मेदारी

तू भी तो यही चाहती थी ना माँ
तेरी बेटी सीख ले समाजिक रीति-रिवाज

ताकि, तू रहे ना रहे इस दुनियाँ में
तेरे दिए संस्कार और कार्यकुशलता से
मैं जीत लूँ घर परिवार का दिल

हाँ माँ मैं बहुत खुश हूँ आज!
तेरे आशीर्वाद से…
माँ लोग कहते है तू मर चुकी है
पर तू…तो ज़िंदा है हमेशा मेरी यादों में।

*बबली सिन्हा

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