कविता

जिंदगी

हॅसो खुलकर
करो  मस्ती मिलकर
दो  दिन  की है जिंदगी
जी लो खुशीपूर्वक
कभी न करो गिला शिकवा
न  ही किसी से बैर  करो
भाई  चारे का सबंध बनाकर
एक साथ मिलकर रहो
बाँटो खुशियाँ
जितना तुमसे हो सके
ताकि दुख पहुँचाने की बात
तु मन मे न कभी सोच सके
किसी ने सच ही कहा है
कर भला तो हो भला
तो फिर क्यो नही
दूसरो की भला कर
जिंदगी को सफल कर सके।

निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४