लघुकथा

अहंकार

बात बात पर स्नेहा अपने जुडँवा बेटों की बात छेड खुद को सर्वश्रेष्ठ औरत और माँ साबित करने की कोशिश करती थी, जैसे दुनिया में पहली बार जुडँवा बच्चे उसी के हुए हैं ।सभी उसके व्यवहार से परिचित हो उसे अनदेखा और उसकी बातों को अनसुना करते थे।
घर मे छोटी बहू वंदना के हाल में हुई बेटी की छठी पूजा का समय तो सासू माँ मारे खुशी के मोहल्ले भर में बुलावा लगा छठी पूजा के साथ जच्चा बच्चा के गीत भी करवा रही थी ,क्योंकि बडी बहू स्नेहा के बेटों के बाद घर में लक्ष्मी का आगमन हुआ था।
मोहल्ले की औरतें ढोलक की थाप पर गीत गाते हुए हँसी ठिठोली कर रही थी और वंदना सासू माँ के बताए अनुसार पूजा कर रही थी, तभी स्नेहा कमरे से रोती हुई बच्ची को ले वंदना को देते हुए बोली,” वंदना तुम्हारी बेटी रोती बहुत है , मेरे बच्चों ने कभी इस कदर परेशान नहीं किया ।”
“आपको बच्चों ने इसलिए परेशान नहीं किया दीदी, क्योंकि आपने हीरे मोती जने हैं और मैंने कंकड पत्थर ।” वंदना बोली ।
संयोगिता शर्मा
सेंट लुइस (यू एस ए)

संयोगिता शर्मा

जन्म स्थान- अलीगढ (उत्तर प्रदेश) शिक्षा- राजस्थान में(हिन्दी साहित्य में एम .ए) वर्तमान में इलाहाबाद में निवास रूचि- नये और पुराने गाने सुनना, साहित्यिक कथाएं पढना और साहित्यिक शहर इलाहाबाद में रहते हुए लेखन की शुरुआत करना।