बाल कविता

तरबूज

गर्मी के दिनों  मे ये फल 
बच्चे के मन को भाता है
पापा के घर आने से पहले
अपनी फरमाईस सुना देते है
ले आना आज पापा मेरे
वो प्यारा प्यारा तरबूज 
पापा भी बच्चो की बात
कैसे टाल सकते है 
जब  घर को आते वो 
थैले भर के साथ लाते
ऊपर से तो हरा दिखे
अंदर मे रहे लाल
जब खाते बच्चे इसे
गर्मी से उन्हे राहत मिले
पेट को भी जब ठंडक पहुंचे
तब बच्चे हो जाते निहाल
मौसमी फल का होता कमाल
गर्मी में तरबूज करता धमाल ।
निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या ‘

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४