हाइकू !
१. अंसतुलन प्रकृति का प्रकोप समझो अब ! २. ये प्रदूषण हरियाली सिमटे पेड़ बचाओ ! ३. क्यूं रुढ़िवाद करे
Read Moreआँखें बंद थी ध्यान मग्न था घर के मंदिर का कोना था, अचानक बोल उठी तस्वीर भगवान की तुम रोज
Read Moreअब स्वर्ग सिधार चुके एक ऐसे जनप्रतिनिधि को मैं जानता हूं जो युवावस्था में किसी तरह जनता द्वारा चुन लिए
Read Moreमछली कैसे जीती जल में, टीचर से पूछूँगी कल मैं। जीना चाहूँ जो मैं जल में, जान सकूँगी
Read Moreडंकी के ऊपर चढ़ बैठा, जम्प लगाकर मंकी, लाल। ढेंचूँ – ढेंचूँ करता डंकी, उसका हाल हुआ बेहाल। पूँछ
Read Moreमानवता? ये मानवता क्या होती है बचपन से लेके आज तक हर ऋत हर मौसम देखे ना देखना था वो
Read Moreसाथी साथ निभाऊंगा मैं। जीवन राग मिलाऊंगा मैं॥ अधरों पर मुस्कान सदा हो। जीवन में गुणगान सदा हो॥ ऐसा
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