कहानी

कहानी तेरी-मेरी

दिल भी टूटा था दोनों का,
मालूम तुमको भी था, और मालूम हमको भी था
तुमने भी कुछ खोया था और हमने भी सबकुछ खोया था
फर्क बस इतना था कि घूंघट में आंखें नम तुम्हारी थी
पर कमबक्त ये दिल भी खूब रोया था।

आंखो में वही चमक, वही नोक-छोक की आदत, स्वभाव में वही जिद्दीपन और वही शरारते पर आज उसमें जिम्मेदारी का एहसास भी दिख रहा था पहले जैसी शरारते और जिद्दीपन तो था पर अब शायद उसके मायने बदल गये थे, पहले जहां खुद को खुश रखने के लिये शरारते और खुद की हर बात मनवाने के लिये जिद्दीपन था पर अब वही शरारते दूसरों को खुश करने के लिये और जिद्दीपन दूसरों का ध्यान रखने के लिये है।
एक बार मुझे भी सोचना पड़ा कि क्या यह वही लड़की है जो किसी की नहीं सुनती थी और आज सबकी सुनती है? क्या शादी के बाद सब बदल जाते हैं या वक्त सबकुछ सिखा देता है? मेरे पास किसी भी सवाल का जबाव नहीं था,पहले जैसी होकर भी कितना बदल गयी है वो, यह कहानी मेरी(अभिमन्यु कुशवाह) और मेरे जीजू की बहन(पल्लवी कुशवाह) की है ।

हम दो भाई और एक दीदी है और मम्मी पापा
दीदी की शादी को लगभग चार साल हो गये दीदी का ससुराल आगरा में है और मायका भी यानी कि हमारा घर दीदी के ससुराल से हमारे घर का करीब चार घंटे का रास्ता है,
ये कहानी दीदी की शादी के कुछ दिन बाद से सुरू होती हैं,पल्लवी अपने घर में सबसे छोटी है इसलिए सब उसे प्यार करते थे और उसकी सारी डिमांडस् पूरी करते थे ।
शायद इसीलिए उसमें कुछ ज्यादा ही जिद्दीपन था और वह अपनी हर बात मनवा लेती थी।
शादी के टाइम पल्लवी के एग्जाम चल रहे थे, उन दिनों पल्लवी कानपुर से आई आई टी कर रही थी, इस लिये वो आ नहीं पायी मुझे पता तो था कि जीजू की एक बहन है पर मैने उसे कभी देखा नहीं था।
शादी के करीब दो महीनो बाद जीजू दीदी और पल्लवी तीनों एक साथ हमारे घर आये वैसे तो जीजू दीदी का आना-जाना लगा रहता था पर पल्लवी का फस्ट टाईम था हमारे घर पर,मैं जब घर होता था तो घर पर ही ज्यादा टाईम रहता था मूझे ज्यादा घूमना पसन्द नहीं है कभी-कभी शाम को दोस्तों के साथ निकल जाया करता था और मैं अब तक बैसा ही हूॅ दीदी की शादी के बाद दीदी को काफी मिस करता था क्योंकि
मम्मी पापा से ज्यादा मैने दीदी के साथ टाईम विताया हैं हर चीज दीदी से सीखी है या यूं कहिये कि मुझे मेरे संस्कार दीदी से ही मिले हैं।
वो तो मैं दीदी की शादी से एक साल पहले ही हाॅस्टल में रहने लग गया मैं उन दिनों एम एस सी कर रहा था, तो अकेले रहने की आदत पड़ गयी, वरना जीजू को मुझे दहेज में ले जाना पड़ता।
मैं पहले से काफी फ्रेंक था और अब भी ।
कार के हार्न की आवाज आयी मैं समझ गया की जीजू लोग आ गये हैं मैने मम्मी को बताया और मैं बाहर चले गया जीजू और दी के पैर छुये और सबको अन्दर लेकर आया सबने मम्मी के पैर छुये तब जीजू ने मम्मी को बताया कि ये उनकी छोटी बहन है जो शादी में नहीं आ पायी थी।
मैने जीजू के कान में कहा जीजू आपकी बहन तो कमाल है, तब जीजू बोले साले जी शर्म करो बहन है वो तब मैने कहा हाॅ और आपकी है न बहन और हमको काहे की शर्म हम तो बचपन से ही वेशर्म हैं इतना सुनते ही जीजू बोले तुम कभी नहीं सुधरोगे फिर हम दोनों जोर से हसने लगे फिर सब लोग हमें देखने लगे हम दोनों एक दम चुप हो गये मम्मी वोली क्या हुआ जरा हमें भी बताओ , मैं तो टाॅयलेट का वहाना मार के निकल गया अब सब जीजू की तरफ देख रहे थे और जीजू मेरी तरफ, फिर जीजू ने दीदी और पल्लवी की तरफ इशारा करके कहा- वो क्या है न मम्मी जी जब कभी ये लोग बाहर जाते हैं तो खाते बहुत है आज भी इन लोगों ने परेशान कर दिया रास्ते भर, अब पल्लवी और दीदी जीजू को घूर रहे थे पर वे लोग समझ गये थे कि जीजू किसी और बात को छिपाने की कोशिश कर रहे थे इसलिए उन लोगों ने चुप रहना ही ठीक समझा।
शाम का समय था और आज मैं दोस्तों के साथ मूवी देखने जाने वाला था जीजू को कही बाहर जाना या मूवी देखना पसंद नहीं था, मैंने जाने के लिये जैसे ही बाइक स्टार्ट की अचानक पीछे से मम्मी की आवाज आयी अभि बेटा तू कहा जा रहा है तब मैने कहा कही नहीं बस दोस्तों के साथ जा रहा हूँ।
मम्मी बोल ठीक है फिर आज दोस्तों के साथ मत जा जरा पल्लवी के साथ मार्केट चले जा इसे कुछ जरूरी शापिंग करनी है, मेरे मूवी के प्लान का तो सत्यानाश हो गया था मम्मी की बात टाल नहीं सकता था, फिर भी मैंने पास में बैठे मैग्झीन पड़ रहे जीजू की तरफ बड़ी आस से देखा शायद जीजू समझ गये थे मेरे कुछ कहने से पहले ही वो बोल उठे, नहीं अभि सोचना भी मत मैं कहीं नहीं जाने वाला तुम्हारी प्राॅवलम तुम साल्व करो ।
जीजू मेरे पास उठकर आये और बोले अभि जरा ख्याल रखना, मैंने वेमन से कहा ठीक है जीजू मैं पल्लवी का ध्यान रखूंगा, तब जीजू बोले नहीं पल्लवी का नहीं तुम अपना ध्यान रखना जरा बचके रहना पल्लवी से वो बहुत बड़ी वाली पागल है तब मैने पूछा ऐसा क्या कर दिया पल्लवी ने फिर जीजू बोले जब ये करीब सोलह साल की थी तब इसने एक पार्टी में एक वेटर जो स्वीमिंग पूल के पास खड़े होकर बात कर रहा था उसे इसने पानी में धक्का दे दिया और विडियो बना ली और उसे वाटसप पर सेयर कर दिया था।इस पर पल्लवी बोली भैय्या आप अब तक बो बात याद करके बैठे हैं वो तो बस एक ऐक्सीडेन्ट था भैय्या तो कुछ भी बोलते हैं।

मैं पल्लवी को एक माॅल में ले गया जो हमारे घर से लगभग पन्द्रह किमी दूर था और वहां सबकुछ मिलता था जाते समय हम दोनों में ज्यादा बात नहीं हुई बस थोड़ी सी एक-दूसरे के बारे में जान-पहचान हो गयी माॅल से पल्लवी ने सिर्फ एक हैंकी खरीदी यह देखकर मैं हैरान रह गया कि ये केवल एक हैंकी खरीदने पन्द्रह किमी आयी है पर मैं कुछ बोला नहीं चुप रहा फिर पल्लवी बोली चलो कैंटीन चलते है पर मैं घर जाने कि जिद लगाये था पर पल्लवी मुझसे भी बड़ी वाली निकली वह बोली तुम्हें घर जाना है तो तुम जाओ मैं नहीं जा रही अभी और पल्लवी कैंटीन की तरफ जाने लगी इस बीच मेरे दोस्तों की लगातार काॅल्स आ रहीं थी मरता क्या न करता मैं भी कैंटीन में जाकर चुपचाप पल्लवी के सामने वाली चेयर पर बैठ गया पल्लवी मुझे देखकर मुस्करा रही थी शायद वह मेरी इस हालत पर हंस रही थी, मैं तो बस अपने कमीने दोस्तों के बारे में सोच रहा था कि अगर मैं नहीं पहुँचा तो वो लोग मुझपर टूट पड़ेगें क्योंकि मूवी का प्लान मैंने ही बनाया था और मेरे दोस्त होस्टल से बस मेरे लिये एक दिन के लिये आये थे।तभी पल्लवी की आवाज से मेरा ध्यान टूटा पल्लवी बोली तो बताओ अभि तुम क्या लोगें तब मैने कुछ लेने से साफ इनकार कर दिया तो वो बोली अगर तुम कुछ नहीं लोगे तो मैं भी ऐसे ही बैठी रहूंगी तब मैने काॅफी बोल दिया क्योंकि मैं टाइम बेस्ट करना नहीं चाहता था पल्लवी ने एक काॅफी और अपने लिये पाइनऐप्पल का जूस आर्डर किया मेरे दोस्तों की एक के बाद एक काॅल आ रही थी पल्लवी शायद ये बात नोटिस कर रही थी आखिर उसने पूछ ही लिया कि अभि कुछ जरूरी काम है क्या?
इस पर मैने कहा नहीं और मै मन में बुदबुदाया कि जब तुमसे फुर्सत मिलेगी तब होगा न कोई काम शायद ये बात पल्लवी ने सुन ली थी
तभी वो वोली देखो अगर तुम्हें कहीं जरूरी काम था तो मुझे बता देते अगर तुम्हें लगता हैं कि मैं यहाँ पन्द्रह किमी चलके एक हैंकी लेने आयी हूँ या ये जूस पीने आयी हूँ तो ये तुम्हारी गलतफहमी है दरअसल घर में मैं बोर हो रही थी तब मैने बाहर जाने के लिये भैय्या कहा पर तुम्हारी मम्मी ने मुझे तुम्हारे साथ भेज दिया मुझे अच्छा लगा अगर तुम्हें मुझसे कोई प्राॅवलम हैं तो बता देते मैं तुम्हारे साथ नहीं आती।
इतना सुनने के बाद मुझे अब गिल्टी फील हो रहा था तब मैंने उसे पूरी बात बतायी मैने उससे कहा बात ये नहीं है कि मुझे तुमसे कोई प्राॅवलम है तुम बहुत अच्छी हो पर आज मैंने दोस्तों के साथ मूवी देखने का प्लान बनाया था और मेरे दोस्त मेरे साथ कुछ टाइम बिताने के लिये अपनी एक दिन की क्लास छोड़कर आये हैं अगर मैं नहीं गया तो वो सब नाराज हो जायेगे बस यहीं सोच रहा था और तबसे उन्हीं लोगों की काॅल्स आ रहीं हैं पर कोई बात नही मैं उन्हें समझा दूंगा वैसे भी तुम तो हमारी मेहमान हो तो तुम्हारा ख्याल रखना पहले और दोस्त बाद में।
इस पर पल्लवी बोली ओ हैलो मिस्टर अभि मैं अपना ख्याल खुद रख सकती हूँ तुम अपने बारे में सोचो मुझे लोगों से दिक्कत नहीं होती ब्लकि लोगों को मुझसे परेशानी होती है, और रही बात मेहमान की, तो तुम मुझे अपना दोस्त भी बना सकते हो पर उसके लिये तुम्हें मूवी की एक टिकट और लेनी पड़ेगी और भैय्या से परमीशन भी, पल्लवी के बिहेवियर से लग रहा था कि पहली बार कोई अपने जैसा ही मिला है,
क्योंकि वो भी बिलकुल मेरे जैसी थी किसी की भी न सुनने वाली वस जो मन में आये वो करने वाली।
फिर क्या था मैं तो बहुत खुश हुआ और मैंने अपने दोस्तों को काॅल कर दी और एक टिकट और लेने को कह दिया, और फिर जीजू को काॅल करके बता दिया कि हम मूवी देखने जा रहे हैं जीजू ने कहा ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी,पर टाइम पे घर आ जाना, जीजू को भी पता था कि पल्लवी घर में बोर हो रही है इसलिए उन्होंने मना नहीं किया और मना करते भी कैसे आखिर मैं उनका साला जो हूँ।
फिर हम लोग थिएटर पहुँच गये वहां मेरे दोस्त पहले से ही थे उन्होंने पल्लवी को देखा तो पूछने लग गये कौन है ये, तो पहले मैंने पल्लवी से सबका इंटरो करवाया और दोस्तों से कह दिया कि आज जरा कम ही बोलना, क्योंकि हम लोग कभी भी थिएटर में मूवी ढंग से नहीं देखते थे , बल्कि हम लोग वहां मस्ती करने जाते थे और जब कोई थांसू सीन आता था तो हम हल्ला मचा देते थे ।इसलिए दो बार तो हमें मूवी के बीच में ही थिएटर से बाहर निकाल दिया था।
इसलिए मैने दोस्तों से कहा था कि इसबार कुछ ऐसा मत करना नही तो पल्लवी को बहुत बुरा लगेगा, और तुम लोगों कि वजह से पल्लवी के सामने मेरी इज्जत उतर जायेंगी, उस समय तो सब बड़े सीधे लग रहे थे, उस दिन थिएटर में दबंग मूवी लगी थी, जो उस टाइम नयी रिलीज हुई थी।
हम लोगों ने थोड़ी बहुत खाने की चीज ली और बैठ गये जाकर थिएटर में, मूवी शुरू हुई थोड़ी देर तक तो सब ठीक चलता रहा लगभग आधे घंटे बाद मेरे दोस्त फिर मूवी के सीन पर कमेंट्स मारने लगे मैंने जैसे तैसे उन्हें शान्त कराया, पर वो कहा मानने वाले थे क्योंकि मैने उन्हें खूब परेशान किया तो आज बारी उनकी थी और बैसे भी मैं उनका लीडर था, मुझे लगा पल्लवी को कितना बुरा लग रहा होगा, पर वहां तो उल्टा ही हुआ जब एक्सन सीन आया तो पल्लवी ने जोर से सीटी बजा दी ।अब तो मैं अपने दोस्तों को भी नहीं रोक पाया और वो लोग फिर से शुरू हो गये और उनके साथ पल्लवी भी, पल्लवी मेरे दोस्तों के साथ घुल मिल गयी थी।
फिर मुझसे भी नहीं रहा गया और हद तो तब हो गयी जब गाना आया ‘तेरे मस्त-मस्त दो नैन’ तब हम लोग खड़े होके डांस करने लगे और पल्लवी तालियाँ बजाने लगी फिर क्या था हमें थिएटर से बाहर निकाल दिया गया ।
बाहर आके मैं अपने दोस्तों को डाॅटने लगा तब पल्लवी वोली अभि उन्हें क्यों डाॅट रहे हो गलती उनकी नहीं है, और ऐ बात सही भी थी क्योंकि सुरूआत तो पल्लवी ने की थी फिर हम लोगों ने दोस्तों के साथ में एक होटल में खाना खाया और घर जाने लगे।ऐसे थिएटर से बाहर निकाल देना मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा क्योंकि पल्लवी साथ थी और वैसे भी हम लोगों की तो आदत हो गयी थी।
तो रास्ते में मैंने पल्लवी को साॅरी बोला तब वो बोली साॅरी किस लिये, मैने कहा कि हमें ऐसे थिएटर से बाहर निकाल दिया तो तुम्हें बुरा लगा होगा वैसे हमारी तो आदात है और ये हमारा फोर्थ टाइम था।
तब पल्लवी बोली नहीं मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगा बल्कि उल्टा मजा आया, और वैसा भी मेरा भी ऐ फस्ट टाईम नहीं था जब थिएटर से बाहर जाना पड़ा, उसकी बात सुनकर लगा कि यार ये तो अपनी विरादरी की है , उसने बताया कि कानपुर मे हर सन्डे को हम बाहर जाते थे तो कभी कभार मैं अपनी दोस्तों के साथ मूवी देखने भी चली जाती थी और की बार मेरी हरकतों की बजह से हम लोगों को थिएटर से बाहर कर दिया जाता था, अब हम दोनों जोर-जोर से हंस रहे थे।
थोड़ी देर बात पल्लवी बोली अभि तुम्हारे दोस्त बहुत अच्छे हैं ऐसे दोस्त किस्मत बालों को ही मिलते हैं, तब मैने कहा कि तुमने अभी देखा ही कहा है उनका कमीनापन, वो बोली माना की वो बहुत शरारती है मस्ती करते हैं पर बिगड़े हुए नहीं हैं, और सबसे बड़ी बात वो तुम्हारी बात भी मानते हैं, और तुम कौन सा सुधरे हुए हो तुम तो उनके सरदार हो।
उस एक मीटिंग के बाद हम लोग बहुत अच्छे दोस्त बन गये थे, ऐसा लग ही नहीं रहा था कि हम लोग आज ही मिले हैं, ऐसा लग रहा था जैसे हम एक-दूसरे को पहले से जानते हैं,यह शायद इसलिए था कि हम लोगों की कुछ आदतें एक जैसी थी, और लोगों से बिल्कुल अलग, फिर हम बातें करते-करते कब घर पहुँच गये पता ही नहीं चला।
अब तक मैं जब भी छुट्टियों में अपने घर आता था तब मैं कभी कभार शाम को दोस्तों के साथ चलें जाता था पर जबतक पल्लवी हमारे घर रही तब तक हम दोनों ही कहीं न कहीं घूमने निकल जाते थे। हमें कभी किसीने मना नहीं किया क्योंकि पल्लवी घूमना चाहती थी और जीजू को ज्यादा घूमना पसंद नहीं है और दीदी ने तो यहां सबकुछ देख ही रखा था और सब ये भी जानते थे कि हम लोग कितने भी शरारती या कितने भी बड़े पागल क्यों न हो पर बिगड़े हुये बिल्कुल नहीं हैं, और काफी समझदार भी हैं।फिर कुछ दिन बाद जीजू, दीदी और पल्लवी अपने घर चले गये पल्लवी की छुट्टियां खत्म हो गयी थीं इसलिए वह अपने कालेज कानपुर लौट गयी, और मैं भी अपने हाॅस्टल, फिर उनके बाद हम दोनों अपनी स्टडी में बिजी हो गये।कभी कभार पल्लवी से फोन या वाट्सअप पल बात हो जाया करती थी, पर कभी एक-दूसरे के बारे में कुछ सोचने का कभी वक्त ही नहीं मिला पर उन चन्द दिनों की मुलाकात के बाद मैं इतना बदल जाऊँगा पता न था, सब जानते थे कि मेरे दिल में किसी के भी ज्जबातों के लिये कोई जगह नहीं थी, मालूम नहीं था कि कभी दो ऐसे लोग जो हमेशा अपने बारे में सोचते हैं कभी एक दूसरे के बारे में सोचने लगेंगे।कभी सोचा न था कि हम दोनों कभी उस रास्ते पे आ खड़े होगे कि हमारे लिये रिश्तों के मायने ही बदल जायेगें, कभी किसी ने नहीं सोचा था कि हम दोनों की दोस्ती कभी प्यार में बदल जायेंगी।
वैसे तो फोन में कभी कभार बात हो जाती थी हम लोगों कि,पर पता नहीं क्यों मुझे पल्लवी के साथ बिताये दो-चार दिन बहुत याद आते,न चाहते हुए भी पल्लवी का साथ मुझे अच्छा लगने लगा था, और अब फिर उससे मिलने को दिल कर रहा था।शायद वो भी मुझसे मिलना चाहती थी पर उसने कभी मुझसे कहा नहीं पर मैं उससे कह देता था कि मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ, तो वो हर बार यही कहती थी कि मुझे नहीं मिलना तुमसे, क्योंकि जब हम दोनों साथ होते हैं तो हम बस अपने मन की करते हैं और ये सही नहीं हैं, क्योंकि वो समझ गयी थी कि हम दोनों के बीच कुछ न कुछ तो चल रहा है और इसे आगे नहीं बड़ा सकते क्योंकि हम लोगों का रिश्ता ही ऐसा था आखिर वो मेरे सगे जीजू की बहन जो थी।
वैसे तो पल्लवी अपने घर में सबकी लाडली थी पर अब वह बड़ी हो गयी थी, और उसकी आई आई टी भी कम्पलीट होने वाली थी इसलिए पल्लवी के घर वालों को उसकी शादी की फिक्र भी होने लगी थी, और उन लोगों ने पल्लवी के लिये रिश्ता भी देखना शुरू कर दिया था।पर पल्लवी ने तो शादी से साफ मना कर दिया था।
कुछ समय बाद पल्लवी के लोग एक बहुत अच्छा रिश्ता आया लड़के वाले बड़े ही सज्जन लोग थे और लड़का एक प्राइवेट कंपनी में एम डी है।पर पल्लवी ने इस रिश्ते के लिये भी न बोल दिया था, अब ऐसा मेरे कारण था या पल्लवी को शादी ही नहीं करनी थी मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था पर इतना जरूर पता था कि पल्लवी को मैं बहुत ज्यादा चाहता हूँ और मैं ये बात किसी से कह नहीं सकता था और न ही पल्लवी से क्योंकि मुझे पता है कि इस रिश्ते के कोई मायने नहीं हैं।
शायद मेरी दीदी और जीजू ये बात जानते थे कि पल्लवी और मुझे एक-दूसरे का साथ क्यों अच्छा लगता हैं और क्यों पल्लवी शादी से मना कर देतीया क्यों पल्लवी की शादी की बात सुनकर मेरे चहरे का रंग उड़ जाता था। इसलिए दीदी और जीजू ने मुझसे कहा कि इतना अच्छा रिश्ता आया है और पल्लवी मना कर रही है अब तुम ही उसे समझा सकते हो, और जीजू को मुझपे पूरा भरोसा था कि मैं कभी भी पल्लवी के बारे में या उसकी जिंदगी के बारे में कभी गलत नहीं सोच सकता।
तो फिर मैंने अब पल्लवी को समझना था, उसे शादी के लिये मनाना था,क्योंकि जीजू जानते थे कि मैं पल्लवी को अच्छे से समझता हूँ और वो मुझे हर बात बता देती थी।
फिर एक दिन पल्लवी की काॅल आयी तब उसने मुझे उसकी फेयरबल पार्टी के लिये अपने कालेज आने को कहा पर मैंने बहाना मारना चाहा तब बो बोली कि अभि कोई बहाना नहीं चलेगा और तुम्हें आना है तो आना है, और उसने काॅल कट कर दी ।तो फिर मैंने जाने की तैयारी की और सोचा इसी बहाने पल्लवी से उसकी शादी की राय भी जान ली जाये ।
जिस दिन पल्लवी की फेयरबल पार्टी थी उस दिन पल्लवी का बर्थडे भी था मैं अपने हाॅस्टल से कानपुर के लिये निकल गया था।एक तरफ पल्लवी से मिलने की खुशी थी वहीं दूसरी तरफ पल्लवी की शादी के बारे में सोच के उसे खो देने का डर भी,उस दिन मैं लेट हो गया था इसलिए पल्लवी ने मुझे सीधे कालेज आने को कहा मैं जैसे ही काॅलेज के गेट के अंदर पहुँचा तो देखा सामने सीढ़ियों पर पल्लवी बैठी थी और वो भी अकेली अंदर से आवाजें आ रहीं थी लग रहा था जैसे प्रोग्राम शुरू हो गया हो पल्लवी ने जैसे ही मुझे देखा तो उसके चहरे पर मुस्कान आ गयी और वो मेरे पास आयी और गले लग गयी, पता नहीं क्यों पर आज पल्लवी के अंदाज कुछ बदले से लग रहे थे।मैंने उसे बर्थडे विश किया फिर वो मेरा हाथ पकड़कर बोली चलो-चलो सब लोग चले गये है और मैं यहां बैठकर कबसे तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ फिर वो मेरा हाथ पकड़कर ओडेटेरियम में ले गयी जहां प्रोग्राम चल रहा था।
ओडेटेरियम के स्टेज पर बहुत से स्टूडेन्टस् परफोर्म कर रहे थे और कुछ अपना एक्सप्रियेन्स शेयर कर रहे थे, पल्लवी अपनी क्लास की बैस्ट स्टूडेन्ट थी इसलिए पल्लवी ने भी अपना एक्सप्रियेन्स शेयर किया; उसे कालेज से बैस्ट स्टूडेन्ट का इनाम भी मिला और प्रोग्राम के अंत में पल्लवी का बर्थडे भी सेलीब्रेट किया,पर पार्टी तो अभी शुरू हुई थी।
प्रोग्राम का समापन होते-होते शाम के करीब पाँच बज गये थे, उसके बाद पल्लवी व उसकी एक दोस्त जिसका नाम रूबिना अग्रवाल है ने पल्लवी की बर्थडे पार्टी रूबिना के घर पर अरेंज की थी और इसमें मैने भॅ थोड़ी हेल्प की थी ,रूबिना पल्लवी की बेस्ट फ्रेन्ड थी।
करीब छह बजे तक सारे अरेंजमेन्टस् हो गये थे।मैं पल्लवी के बुलावे पे आ तो गया था पर ये बात किसी के घर बालों को नहीं पता थी। रूबिना और पल्लवी ने रूबिना के मम्मी-पापा से मुझे उन लोगों का दोस्त बताकर इन्टरोडक्शन कराया था, रूबिना के पेरेन्टस् पल्लवी को अपनी लड़की जैसा ही मानते थे, तो फिर उन्होंने भी पार्टी अरेंज करने में हमारी हेल्प की थी।
पल्लवी व रूबिना ने करीब-करीब अपने सभी दोस्तों को इन्वाइट किया था, सभी लोग आ चुके थे उसके बाद पल्लवी ने केक काटा और फिर हम सब ने खूब जमकर इजांय किया। रात नौ बजे के करीब सब लोग जा चुके थे पल्लवी को बहुत से गिफ्टस् भी मिले थे पर शायद वो सारे पल्लवी के लिये बेकार थे क्योंकि उसे तो मुझमें दिलचस्पी थी भले ही उसने मुझसे कहा न हो पर उसके बदले से अंदाज से मुझे यही लग रहा था।मैने भी आने से पहले पल्लवी से पूछा था कि तुम्हें क्या गिफ्ट चाहिए तो उसने कहा तुम पहले यहां आ जाओ फिर बताऊंगी कि क्या चाहिये।
मैं भी सोच रहा था कि अब जल्दी से यहां से निकला जाये पर कहना में टुयिस्ट तब आया जब मैंने उससे पूछा कि पल्लवी तुम्हें क्या गिफ्ट चाहिए।तब वह बोली कि अभि अब यहां से घर जाने के बाद क्या पता हम कभी ऐसे फिर कभी मिल भी पायेंगे या नहीं मुझे नहीं पता क्योंकि घर वाले तो मेरी शादी के पीछे पड़े हैं,पता नहीं क्यों पर तुम्हारा साथ मुझे बहुत अच्छा लगता हैं, मुझे तुम्हारी वो सब बातें याद हैं,और वो सब जगह जहां हमने जमकर इंजाॅय किया था, तो क्या तुम मुझे मेरे बर्थडे गिफ्ट में मुझे फिर से एक बार वही मस्ती और पागलपन दे सकते हो क्या? क्या हम कुछ समय और साथ में रह सकते हैं क्या? अब उसके इमोसनस् देखकर मैंने भी हाँ कर दी पर इस बार हमारे साथ रूबिना भी थी।
फिर क्या था हम तीनों रूबिना के घर से बाहर आ गये और वहां से एक एक टैक्सी पकड़कर फ़नसिटी पहुँच गये। वहां किसी की पार्टी चल रही थी और बड़ा जबरदस्त डांस चल रहा था हम लोग मैं और पल्लवी उस डांस पार्टी के बीच में घुस गये और डांस करने लगे पर रूबिना भीड़ के बाहर खड़ी थी उसका कहना था कि हम किसी और की पार्टी में ऐसे कैसे एंजाॅय कर सकते हैं पर हम दोनों ने उसकी एक न सुनी और उसे भी पकड़कर ले गये।

थोड़ी देर में हम बाहर आ गये और हम लोग आइसक्रीम खाते हुए वाॅटरपार्क के किनारे टहलते हुए जा रहे थे, तभी अचानक मेरी आइसक्रीम मेरे हाथ से छूट गयी और मेरी जीन्स पे गिर गयी इस पर पल्लवी बहुत जोर से हंसने लगी, तो मैंने पल्लवी की आइसक्रीम उसके हाथ से छीन ली और खाने लगा इस पर उसने मुझे पानी में थक्का दे दिया।मैं तो पूरा भीग गया था अब मैं भी इस बात का बदला लेना चाहता था इसलिए मैने पल्लवी और रूबिना की तरफ बाहर निकलने के लिये हाथ बढ़ाया दोनों ने मुझे बाहर खींचा मैं तो बाहर आ गया पर मैंने उन दोनों को पानी में धक्का दे दिया और मैं दुबारा पानी में कूद गया फिर हम लोगों ने एक-दूसरे दूसरे को खूब भिगोया फिर हम बाहर आ गये पर हम तीनों के तीनों पूरे भीग गये थे उसके बाद पास की ही एक शाॅप से मैं हम तीनों के लिये कपड़े खरीदकर लाया, और फिर चेंजिंग रूम में कपड़े चेंज किये फिर मैंने कहा चलो रेस्टोरेन्ट में चलकर कुछ खा लिया जाये, इसपर पल्लवी वोली कि आज जो मैं ऑडर करूँगी तुम्हें वहीं लेना पड़ेगा और बिल भी मैं ही पेय करूँगी,ऐसा उसने इसलिए कहा कि मुझे खाने-पीने के मामले में कुछ अलग चीजें पसंद थी और मैं हमेशा अपनी पंसन्द ही लेता हूँ।फिर मैंने और रूबिना ने कहा कि बिल का तो पता नहीं पर जो सबसे पहले कुछ भी ऑडर करेगा तो सबको वही लेना पड़ेगा सबने इस बात को मान लिया और हम रेस्टोरेन्ट चले गये मैं वही चेयर पर बैठ गया रूबिना और पल्लवी वहां से आगे चले गये मैंने सोचा वो कुछ ऑडर करने गई होगी इसलिए मैं चुपचाप बैठा रहा थोड़ी देर बाद एक वेटर ने दो वियर की बोटल लाकर मेरे पास रख दी और खाने के लिये पास्ता मैंने सोचा यार ये पल्लवी कब से बियर पीने लग गयी पर प्रामिस किया था इसलिए मै ग्लास में बियर डालकर पीने लगा तब तक पल्लवी और रूबिना भी आ गये पल्लवी वोली थोड़ी देर रूक नहीं सकते थे जब उसने मुझे बियर पीते देखा तो बड़े घूर के मुझे देखा और उसने भी एक ग्लास में बियर डाली और पीने लगी उसका टेस्ट बड़ा अजीब लग रहा था क्योंकि मैंने उससे पहले कभी बियर नहीं पी थी।रूबिना को भी थोड़ी सी पीनी पड़ी क्योंकि प्राॅमिस जो किया था पल्लवी मेरी तरफ घूर रही थी और अब मैंने पूरी बोटल मूहॅ में लगा ली थी पल्लवी भी आंख बन्द करके पूरी बोटल गटक गयी अब रूबिना और पल्लवी दोनों मेरी तरफ घूर रहे थे पर मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था।।
आखिर मैंने पूछ ही लिया कि तुम लोग मुझे क्यों घूर रहे हो तब पल्लवी वोली कि तुम्हें कुछ और नहीं मिला था पीने के लिये और तुमने ये बियर पीना कब शुरू कर दिया तब मैंने कहा ओ हैलो इतनी सीधी क्यों बन रही हो ऑडर तो तुमने की थी इसलिए मैं पीने लग गया तब रूबिना बोली यार हम तो वाॅशरूम गये थे और लौटकर देखा तुम दो बोटल लेके बैठे थे और हमने प्राॅमिस किया था इसलिए तुम्हारी ऑडर की हुई बियर पीनी पड़ी और पल्लवी ने तो पूरी बोटल चड़ा ली चलो कम से ये पास्ता तो अच्छा है और वह पास्ता खाने लगी।
थोड़ी देर में वही वेटर दुबारा हमारे पास आया और बोला साॅरी सर किसी और का ऑडर आपको दे गया, अब हम तीनों आपस में एक-दूसरे की तरफ देख कर जोर से हंसने लगे।
पल्लवी वेटर से बोली कोई बात नहीं भैय्या हमें तो उल्टा मजा आ रहा है, पल्लवी की बातें सुनकर लग रहा था कि उसपर अब वियर का असर हो रहा है, और वैसे भी अभी तक उसने हाथ तक नहीं लगाया था ऐसी चीज को और आज तैस में आके उसने पूरी बोटल चढ़ा ली। मेरी वाली बोटल तो अभी आधी से ज्यादा भरी थी।क्योंकि उसमें से रूबिना ने थोड़ी चखी थी और मैंने करीब एक ग्लास ली था। अब पल्लवी मेरी तरफ देखकर हॅस रही थी, मैंने पूछा क्या हुआ तब वो बोली अभि तुम बहुत बुरे हो, मैंने पूछा क्यों तो वो बोली तुमने मेरी आइस्क्रीम छीन के खा ली और अब मैं तुम्हारी वियर पी जाऊंगी मैं मना ही करता रह गया और इतने मै उसने बची हुई वियर पी ली, मुझे लग रहा था कि उसे भी होश नहीं है कि वो क्या कर रही है।
रूबिना पहले तक तो हमारी हरकतों से परेशान होकर कह रही थी कि अब तुम्हारे साथ कभी कहीं नहीं जाऊंगी, और मुझसे बोली कि पहले तो पल्लवी कम पागल थी पर तुम्हारे आते ही ये पूरी पागल हो गयी, और अब लग रहा है कि तुम दोनों के साथ कहीं मैं भी पागल न हो जाऊँ,पर अब रूबिना भी हमारे साथ एंजाॅय करने लगी थी।
रात के करीब दस बजने वाले थे तब मैने सोचा अब यहां से जाया जाये,पल्लवी को चढ़ गयी थी उसे सहारा देकर हम लोग बाहर लाए और टैक्सी का इंतजार करने लगे, पल्लवी बोली अभि तुम्हें तो पता है कि मेरी फैमिली कितनी बड़ी है पर मुझे वहां बिल्कुल अच्छा नहीं लगता क्योंकि सब अपने काम में बिजी रहते हैं और मेरे लिये किसी के पास टाइम नहीं होता बस सब लोग मुझे खुश करने के लिये गिफ्टस् देते रहते हैं,तुम्हें पता है अभि मैं ज्यादातर अपने आप को अकेला महसूस करती हूँ, पर जब दोस्त साथ होते हैं तो कुछ देर के लिये अकेलापन दूर हो जाता है, तो मैंने कहा तुम शादी क्यों नहीं कर लेती किसी अच्छे लड़के से जो तुम्हारा अच्छे से ख्याल रखें, तुम्हें अच्छे से समझे और हमेशा तुम्हारा साथ दे, तब पल्लवी बोली मुझे महासमझदार नहीं बल्कि तुम्हारे जैसा पागल लड़के से शादी करनी है, और ऐसा लड़का मिलने से रह।
फिर पल्लवी वोली मिस्टर अभिमन्यु कुशवाह क्या तुम मुझसे शादी करोगें अब मैं चुप था मुझे पता थे कि पल्लवी होश में नहीं है मुझे चुप देखकर पल्लवी जोर से हंसने लगी और मेरी तरफ देखकर बोली अभि अपना चेहरा देखो यार मैं तो मजाक कर रही थी, चलो मान लो मुझे एक बहुत अच्छा लड़का मिल गया और मैंने शादी भी कर ली फिर तुम तो अकेले रह जाओगे न और फिर तुम्हें परेशान कौन करेगा और इतना कहना था कि पल्लवी ने मुझे धक्का दे दिया मैं लड़खड़ा गया और बीच रोड में जा गिरा पल्लवी भ जोर-जोर से हंसते हुए मेरे पास आयी और रोड में बैठ गयी ये देखकर रूबिना दौड़कर हमारे पास आयी और बोली क्या हुआ फिर पल्लवी ने उसको भी खींच लिया और अब हम तीनों रोड में लेटे हुए सिगनल का रंग बदलते देख रहे थे और रंग बदलने पर हल्ला मचा रहे थे।
उस वक्त हम दोनों को किसी बात की परवाह नहीं थी कि कोई गाड़ी हमारे सामने से आयेगी, या किसी को कोई परेशानी होगी, और तो और रूबिना भी हमारा साथ दे रही थी।उसे शायद समझ आ गयी थी कि अगर आप कुछ बदल नहीं सकते तो उसमें ही इंट्रस्ट ले लेना चाहिए।
अचानक एक गाड़ी की हेडलाइट हम पर पड़ी रूबिना तुरंत खड़ी हो गयी शायद वह टैक्सी थी रूबिना ने उसे हाथ दिया और उसने गाड़ी रोक दी, फिर हम तीनों उसमें बैठ गये और ड्राइवर को एड्रेस बताया उस ड्राइवर के साथ बाली सीट पर एक महिला भी बैठी थी तो बीच-बीच में ड्राइवर से किसी बात पर वहस कर रहीं थीं।फिर पता चला कि वह ड्राइवर की वाइफ हैं और वो किसी रिश्तेदार की पार्टी से आ रहे थे, और किसी बात पर झगड़ रहे थे।उनकी गाड़ी में सामने की तरफ एक काली माता की फोटो लगी थी, पर पल्लवी ने ड्राइवर की नजर बचाकर उस फोटो के ऊपर एक लड़की की फोटो रख दी थी ।
अब जैसे ही उनका झगड़ा समाप्त हुआ वैसे ही अचानक उसकी वाइफ गाड़ी में सामने लगी फोटो की तरफ देखकर ड्राइवर से बोली कि ये फोटो किसकी है।
तो ड्राइवर वहां बिना देखे हो वोला वो मेरे लिये जान से भी ज्यादा माननीय है, और हर रोज मैं उनकी पूजा करता हूं, इतना सुनना था कि उसकी बीबी और खरी-खोटी सुनाने लग गयी।जब ड्राइवर ने उस फोटो की तरफ देखा तो उसके तो होश उड़ गये और सोच रहा था क्या मैं बिना देखे क्या बोल गया, क्योंकि उसे पता था कि उसकी गाड़ी पर तो देवी मां की फोटो लगी है।वो लोग लड़ रहे थे और पल्लवी हंस रही थी फिर हमने पल्लवी की तरफ देखा तो वो चुप हो गयी तब रूबिना बोली पल्लवी ये तेरा काम है न तूने बदली न फोटो अब ये बात पता चलने पर ड्राइवर ने हमें वहीं उतार दिया और अब हम दोनों पल्लवी की तरफ गुस्से से देख रहे थे तभी उसका चेहरा देखकर मेरी हंसी निकल गयी फिर हम तीनों जोर से हंसने लगे
वहां रोड में हम तीनों के अलावा कोई नहीं था वो तो अच्छा हुआ कि जहां टैक्सी वाले ने हमें छोड़ा वहां से रूबिना का घर ज्यादा दूर नहीं था इसलिए हम पैदल जल्दी पहुँच गये, रूबिना ने दरवाजा खोला और हम तीनों सीढ़ियों से ऊपर चले गये।
ऊपर जाने का बाद हमने पल्लवी को एक रूम में बैड पर लिटा दिया और मैने उसके पैरों से सैन्डल निकाले और फिर मैं और रूबिना भी अलग-अलग रूम में सोने चले गये। मैं बैड पर पड़ा सोने की कोशिश कर रहा था पर नींद आने का नाम नहीं ले रही थी।धीरे-धीरे टाईम बढ़ता गया और रात गुजरने लगी पर मन में कहीं बेचैनी सी थी शायद इसलिए कि उस वक्त मैं पल्लवी के बारे में सोच रहा था।
रात के करीब 12:15 बज गये थे मैं उठा और बाथरूम की तरफ चले गया और जब बाथरूम से वापस आया तो अचानक मेरी नजर बाहर छत पर पड़ी तो मुझे लगा जैसे पल्लवी बाहर बैठी है, मैं उसके पास गया तो वह चुपचाप अकेले बैठी आसमान की तरफ देख रही थी पर उसके चेहरे पर बेचैनी साफ नजर आ रही थी।मैने उससे पूछा पल्लवी तुम यहां अकेले बैठकर क्या कर रही हो तब वह बोली कुछ नहीं अभि मुझे नींद नहीं आ रही हैं और मन थोड़ा सा उदास हैं तब यहां बैठ कर आसमान जैसे संसार को समझने की कोशिश कर रही हूॅ ,आओ तुम भी थोड़ी देर मेरे पास बैठो यह कहते हुये पल्लवी ने अपनी बात पूरी की।मैं भी उसके पास बैठ गया तभी एक टूटा हुआ तारा नजर आया तब पल्लवी ने मुझे वह दिखाया और बोली अच्छा एक बात बताओ अभी जैसे हम लोगों में जिससे हम बहुत प्यार करते हैं चाहते हैं अगर उससे बिछुड़ना पड़े, उससे अलग होना पड़े तो कैसा लगता है? तब मैने कहा अगर ऐसा होता है तो ऐसा लगता है जैसे एक पल के लिये जीने का मकसद ही खत्म हो गया हो। तब पल्लवी बोली तो अभि क्या तारों को भी ऐसा दर्द होता होगा जब वह टूटते हैं? तब मैने कहा कि तुम इन्जीनियर की इतनी अच्छी स्टूडेन्ट हो और तुम मुझसे पागलों वाले सवाल क्यों पूछ रहीं हो
तब पल्लवी वोली कि तारों का तो पता नहीं पर अगर इसे हम दोनों अपनी लाईफ में अप्लाई करें तो अगर मेरी शादी किसी और से हो जाये तो तुम्हें बुरानहीं लगेगा। मैने कहा हाॅ तुम मेरी अच्छी दोस्त हो तो बुरा तो लगेगा ही हो सकता है मैं तुम्हें याद करके एक-दो दिन खाना भी न खाऊॅ।तब पल्लवी वोली क्या मैं तुम्हारी सिर्फ दोस्त हूॅ तब मैने कहा हाॅ पर सबसे क्लोज वाली।
थोड़ी देर बाद फिर पल्लवी बोली कि अगर आजकल, की बात करें तो मुझसे सबसे करीब सिर्फ तुम ही हो और मुझे अच्छे से समझते हो तो मुझे एक बात बताओ कि क्या शादी करना जरूरी है और जिस इंसान को आप जानते नहीं पहचानते नहीं और पहले उसे कभी देखा नहीं उसके साथ पूरी जिंदगी बिताना पड़े, उस एक शख्स की खातिर सबको छोड़ना पड़े दोस्त, घर वाले और पता नहीं क्या-क्या तॅ ऐसा जरूरी हैं क्या? क्या हम उस इंसान के साथ नहीं रह सकते जिसे हम अच्छे से जानते हो और वो भी हमें अच्छे से समझता हो फिर चाहे वह कोई करीबी रिश्तेदार ही क्यों न हो।
आखिर ये रूल किसने बनाये हैं कि किसी अंजान शख्स के हाथ में अपनी पूरी जिंदगी शौप दो मैं समझ तो गया था कि किसी करीबी रिश्तेदार से मतलब पल्लवी का मेरी तरफ इशारा करना है पर मैने फिर भी उससे पूंछ लिया कि आखिर कौन है वो शख्स जिसे तुम इतना चाहती हो और वो भी तुम्हें समझता है तब वह बोली वो शख्स अभि तुम हो जिसे मैं इतना चाहती हूॅ और मैं कुछ भी कर सकती हूॅ अगर तुम मेरे साथ हो, और फिर पल्लवी मुझसे आकर लिपट गयी और रोते हुये लगातार बोले जा रही थी कि अभि मुझे नहीं करनी किसी और से शादी-वादी मुझे नहीं रहना किसी अंजान शख्स के साथ मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए जिंदगी भर के लिये और अगर शादी करना इतना जरूरी है तो हम दोनों शादी कर लेते हैं ,फिर चाहे कोई कुछ भी कहे मुझे किसी भी बात की कोई परवाह नहीं।
एक पल के लिये मुझे भी लगा कि मैं भी पल्लवी से लिपट जाऊँ और कह दूं कि मैं भी उसे खुद से ज्यादा चाहता हूॅ और उसके बिना जिंदगी कितनी मुश्किल हैं हमेशा उसी की याद और ख्यालों में खोया रहता हूॅ मैं, पर ये तो कुछ देर का ख्वाब था बाकी हकीकत तो कुछ और ही थी ये वेरहम समाज कभी हमें नहीं अपनाता और ऐसा करके हम दोनों अपनी फैमिली के सामने खुद की हि नजरों में गिर जाते।
इसलिए न चाहते हुये भी मैने पल्लवी को खुद से अलग किया और उसे समझाने की कोशिश की कि ये सब गलत है, और तुम अभी नसे में हो इसलिए तुम ये सब कह रहीं हो अभी तुम्हें सही गलत का कुछ होश नहीं है, और वैसे भी तुम जिसे चाहती हो तो जरूरी नहीं वो भी तुम्हें चाहता हो तब पल्लवी मेरा हाथ पकड़कर बोली अभि तुम झूठ बोल रहे हो मुझे पता है कि तुम मुझे खुद से भी ज्याद चाहते हो मुझसे बहुत प्यार करते हो ऐसा मेरा दिल कहता है।
मैने कहा पल्लवी तुम्हें खुद नहीं पता कि तुम क्या बोले जा रही हो काफी रात हो गई है चलो अब सो जाते हैं, हम इस बारे में सुबह बात करेंगे ।फिर मैने पल्लवी का हाथ पकड़ा और हम रूम की तरफ जाने लगे पल्लवी की आंखों से आंशू रूकने का नाम नहीं ले रहे थे वह लगातार सुवक- सुवक के रोये जा रही थी मेरा मन भी पल्लवी के लिये बहुत दुखी था ।
मैं पल्लवी को रूम के दरवाजे पर छोड़कर अपने रूम में चले गया।मुझे भी बिल्कुल नींद नहीं आ रही थी दिल में एक तूफान सा चल रहा था।भले ही मैं बाहर से चुप था पर दिल मेरा भी रो रहा था।
तभी फिर से अचानक किसी ने दरवाजा खटखटाया मैने उठकर दरवाजा खोला तो सामने पल्लवी थी और अभी भी उसके आंशू वह रहे थे जिन्हें वह छिपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी।मै बोला पल्लवी तुम अभी भी नहीं सोयी हो आखिर तुम्हें आज हो क्या गया है तब पल्लवी बोली मुझे नींद नहीं आ रही है वस अजीब से ख्याल आ रहे हैं और अब एक बार फिर पल्लवी की आंखों में आंशू दिखने लगे फिर मैने उसे गले लगा लिया और उसे समझाते हुए कहा कि तुम अपने आप को क्यों इतना परेशान कर रही हो देखो हमारे हाथ में कुछ नहीं होता दुनिया तो वह चलाता है जो ऊपर बैठा है उसने सबके लिये कुछ न कुछ सोचा है पहले से ही तो तुम्हारे लिये भी कुछ सोचा होगा इसलिए खुद कोपरेशानी देने से कुछ नहीं होगा जो वो चाहेगा वही होगा।
अब ज्यादा मत सोचो चलो सो जाओ तब पल्लवी बोली अभि अगर बुरा न मानो तो क्या मैं तुम्हारे पास सो सकती हूॅ
पहले भी हम लोग बातें करते-करते या लड़ते झगड़ते एक ही बैड पर सो जाते थे पर मन में कुछ गलत विचार नहीं आया इसलिए मैने उससे कहा हाॅ क्यों नहीं आ जाओ तुम भी।
पल्लवी मेरे सीने पर सिर रखकर लेटी हुई थी और मैं उसके सिर पर हाथ फेर कर किसी छोटे बच्चे की तरह सुलाने की कोशिश कर रहा था।पर वह मुझसे यही पूछे जा रही थी कि अभि हम दोनों शादी क्यों नहीं कर सकते या हम दोनों एक साथ जिंदगी क्यों नहीं बिता सकते फिर वह सुवक-सुवक के रोते हुये सो गयी उसके सोने के कुछ देर बाद मैं भी सो गया।और फिर पता ही नहीं चला कि कब सुबह हो गयी।

मेरी नींद तब खुली जब रूबिना काॅफी लेकर हमारे सामने खड़ी थी, और पल्लवी अभी भी मेरे सीने पर सिर रखकर सो रही थी, मेरे उठाने पर वह किसी बच्चे की तरह थोड़ी देर और सोने की जिद कर रही थी।
रूबिना बोली लगता है कल रात तुम लोग काफी देर से सोये, फिर रूबिना शरारती मुस्कराहट के साथ बोली और लगता है कल रात तुम दोनों के बीच बहुत कुछ हुआ।तब पल्लवी उठ गयी और रूबिना को तकिया फेक के मारते हुये बोली रूबिना तू तो अपना मूॅह बन्द ही रखा कर, तब मैने रूबिना से कहा कि जैसा तुम समझ रही हो वैसा कुछ नहीं है।
पल्लवी बाथरूम की तरफ जाते हुए बोली अभि उसे हमारे बारे में सब पता है वह बस तुम्हारी टांग खींचने की कोशिश कर रही है

पल्लवी बाथरूम चली गयी तब रूबिना मेरी तरफ काॅफी बढ़ाते हुए बोली साॅरी अभि मैं तो वस मजाक कर रही थी मुझे पता है कि पल्लवी तुमसे काफी क्लोज है, और तुम दोनों दिल के बहुत अच्छे हो, फिर मैने रूबिना के हाथ से काॅफी का कप पकड़ लिया और मैं और रूबिना रूम से बाहर छत पे आ गये इस दौरान रूबिना की बातें कन्टीन्यू चल रहीं थीं, वह कह रही थी कि पल्लवी ने मुझे बताया कि जब भी उसका मन दुखी होता था तो वह तुमसे बात कर लेती थी या पास होने पर तुम्हारे पास चली जाती थी यानी दुखी होने पर वह तुम्हारा सहारा लेती थी और तुम दोनों कभी-कभी बातें करते-करते या एक-दूसरे का मजाक उड़ाते हुऐ एक साथ ही सो जाते थे।

तुम दोनों की कल रात की बातें भी मैंने सुनी, मेरा ऐसा कोई इरादा तो नहीं था पर पर जब मैं पानी पीने उठी तब मैंने तुम्हें और पल्लवी को बाहर देखा पल्लवी रो रही थी और तुम उसे समझा रहे थे इसलिए मैने तुम लोगों को डिस्टर्व करना ठीक नहीं समझा और मैं आकर लेट गयी तुम लोगों कि बातें सुनकर थोड़ा दुख हुआ, पर मुझे ये नहीं पता था कि पल्लवी तुमसे इतना प्यार करती है, पल्लवी ने आज तक तुम दोनों के बारे में मुझे जो भी बताया और कल काॅलेज से लेकर शाम पार्टी से लेकर घर तक हम तीनों साथ ही थे।तो पल्लवी के लिये तुम्हारा व्यवहार देखकर मुझे लगा कि तुम भी पल्लवी को चाहते हो पर कल रात पता चला कि तुम पल्लवी को वस एक अच्छा दोस्त मानते हो।

भले ही पल्लवी की शादी किसी और के साथ हो जाये और शायद वह कुछ समय के बाद तुम्हें भूल भी जाये पर कुछ दिन तो उसका दिल सिर्फ तुम लिये ही धड़केगा, और तुम कहते हो कि तुम्हें उससे प्यार नहीं है।तब मैने उससे कहा कि रूबिना ऐसा नहीं है कि मैं उससे प्यार नहीं करता ब्लकि मैं भी उसे खुद से ज्यादा चाहता हूॅ पर ये बात मैं उससे नहीं कह सकता अगर मैंने उसे यह बता दिया तब वह कभी भी किसी और से शादी करने को तैयार नहीं होगी।

तब रूबिना बोली तो तुम पल से शादी क्यों नहीं कर लेते आजकल तो सब चलता है तो मैंने कहा अगर हमने ऐसा किया तो हम दोनों अपनी ही फैमिली की नजरो में गिर जायेंगे और उनका हम पर अटूट भरोसा हमेशा के लिये खत्म हो जायेगा और हमारे और हमारी फैमिली के रिश्तों के बीच मे दरार आ जायेगी।फिर मैं अपनी या पल्लवी की खुशी के लिये सारे रिश्ते को दाॅव पर नहीं लगा सकता और वो भी उस रिश्ते के लिये जिसके कुछ मायने ही न हो, ऐसा करके हम भी कभी खुश नहीं रह पायेगेंऔर।कुछ पाने के लिये बहुत कुछ खोना पड़ता है, इसलिए सभी परिवार वालों की खुशी के लिय हमें अलग होना ही होगा।

ये सब मैंने तुम्हें इसलिए बताया कि मुझे लगता है कि सिर्फ तुम ही हो जो मेरी हेल्प कर सकती हो।

पल्लवी की बर्थडे पार्टी के बहाने मैं तो बस उसे ये समझाने आया हूँ कि वह अपने घर वालों कि बात मान ले और शादी कर ले, वैसे भी व। कई रिश्तों से मना कर चुक है पर फिर से पल्लवी की दहलीज पर खुशियों ने दस्तक दी है।
लड़का एक प्राईवेट साफ्टवेयर कंपनी का M.D. है और बहुत फ्रेडली है और लाईफ को मेरी तरह ही एंजाय करता है मैं अपने जीजू के साथ कई बार उससे मिल चुका हूॅ। उससे शादी करने के बाद पल्लवी बड़े शहर में साफ्टवेयर कंपनी में जाॅब करने का अपना सपना भी पूरा कर सकती है, और उनकी फैमिली भी बहुत अच्छी है सब लोग पल्लवी को बहुत खुश रखेंगे, और फिर शादी तो कभी न कभी करनी ही पड़ती है ये तो संसार का रूल है।

इसलिए जीजू ने मुझे इस बारे में पल्लवी से बात करने को कहा और उन्हें पूरा यकीन है कि पल्लवी मेरी बात मान जायेगी, पर कल रात ही पता चला कि वह मुझसे भी उतना ही प्यार करती है जितना कि मैं उससे वो तो कल नसे की हालत में वह इतना कुछ बोल गयी वरना उसृ भी पता है कि हम दोनों के रिश्ते की मर्यादायें क्या हैं। उसने कल रात जो कहा वह कभी नहीं हो सकता पर वह इस बात को नजरअंदाज करने की कोशिश कर रही है और इसलिए वह हर बार शादी से इंकार कर देती है।

इसलिए मुझे पल्लवी को समझाने में तुम्हारी मदद की जरूरत है मुझे पता है पल्लवी मेरी बात समझ जायेगी वह समझदार लड़की है पर जरूरत है तो उसे समझाने की वाकी वह जानती है कि उसे क्या करना चाहिये। तुम करोगी न मेरी मदद?

तब रूबिना बोली कि मुझे नहीं पता कि तुम यह सब क्यों कर रहे हो, मैं तुम दोनों के साथ कुछ दिन ही रही पर इतने वक्त में ही मैने तुम लोगों से सीखा कि सही मायने में जीना क्या होता है, उस वक्त के बाद मानो जैसे मेरी जिंदगी ही बदल गयी हो मैं भी तुम लोगों की तरह ही सोचने लगी हूँ।

मैंने कभी ये नहीं सोचा था कि जिंदगी तुम दोनों को इतनी जल्दी उस मोड़ पर ले आयेगी जहाँ से तुम दोनों के रास्ते अलग-अलग हो जाएंगे।
एक पल्लवी है जो तुमसे इतना प्यार करती है पर उसने किसी को इस बात का पता नहीं चलने दिया।पल्लवी ने तुम्हारे और अपने बारे में मुझे सब कुछ बताया पर वह तुमसे इतना प्यार करती है यह कभी नहीं बताया वो तो कल रात नसे की हालत में उसने तुमसे अपपे दिल की सारी बातें कह दी वरना इस बारे में तुम्हें भी पता न चलता।

और एक तुम हो जिसके दिल में सिर्फ पल्लवी रहती है पर तुमने तुम दोनों के परिवार के रिश्ते की लम्बी उम्र के लिये आस बात को अपने ही दिल में कैद करके रखा हुआ है, पल्लवी का जरा सा भी दर्द तुमसे देखा नहीं जाता पर कल रात इतना रोने पर भी तुमने उसे पता नहीं चलने दिया कि तुम भी उससे उतना ही प्यार करते हो जितना कि वो तुमसे।

सच में इतना बड़ा त्याग करना सबके बस का नहीं होता।अगर तुम ऐसा ही चाहते हो तो मैं इस बारे में पल्लवी से जरूर बात करूँगी शायद वह मान जाये और मैं भगवान से यही दुआ करूँगी कि तुम दोनों जैसे भी रहो हमेशा खुश रहो।

इसके बाद मैं नहाने चले गया और फिर वहां से आगरा जानृ के लिये तैयार हो गया। पल्लवी मेरे पास आयी और बोली अभि तुम तैयार हो गये मैंने हाँ में सिर हिलाया।
पल्लवी बोली अभि कल क्या हुआ मुझे कुछ भी होश नहीं है मुझे बस कल रात हमने फऩसिटी से टैक्सी पकड़ी और मैं रात को तुम्हारे साथ ही सो गई थी। मैने सभी बातें छुपाते हुए उससे कहा कि कल कुछ भी तो नहीं हुआ वहां से आने के बाद तुम यहां आकर चुपचाप सो गईं, तब पल्लवी बोली थैंक्गाॅड मुझे लगा था कि कल शायद मैंने तुम्हें और रूबिना को बहुत परेशान किया और मैं खूब रोयी भी थी।
इस पर रूबिना बात संभालते हुए बोली कि ऐसा कुछ नहीं हुआ पागल तू कल गहरी नींद में थी इसलिए कोई सपना देखा होगा तूने।

उसके बाद हम तीनों नीचे चल दिए रूबिना ने अपनी कार निकाली और पल्लवी, रूबिना मुझे छोड़ने स्टेशन तक आये, मैं और पल्लवी गाड़ी से उतरे और रूबिना गाड़ी में ही रही रूबिना बोली अभि यार तुम से तो एक दिन में ही इतनी गहरी दोस्ती ही मानो तुम्हें कब से जानती हूं तब पल्लवी बोली कि अभि है हि ऐसा जो हर जगह फिट आ जाता है, रूबिना बोली अभि अब कब मिलना होगा तब मैंने कहा जल्द ही पल्लवी की शादी में इस पर रूबिना मुस्करा दी और गुड बाॅय बोलकर मैं पल्लवी के साथ स्टेशन के अंदर आ गये ट्रेन लेट थी इसलिए हम वही बैठ कर ट्रेन का इंतजार करने लगे।

पल्लवी बोली अभि अब कब मिलेंगे हम तब मैंने कहा हमारा क्या है हम तो मिलते ही रहेंगे वैसे भी मैं कहा भागा जा रहा हूँ,
थोड़ी देर चुप रहने के बाद मैंने पल्लवी से का कि पल्लवी एक बात बोलू तब वो बोली हाँ ।मैं थोड़े शरारती अंदाज में बोला पल्लवी एक्चुअली अब तुम्हें शादी कर लेनी चाहिये रही बात जाॅब की तो हम लड़के बालो से साफ कह देंगे कि हमारी पल्लवी भी कमाना जानती ही वह भी एक साफ्टवेयर कंपनी में जाॅब करना चाहती है अगर आपको मंजूर है तो ठीक है वरना दूसरा तैयार है, ये सुनकर पल्लवी जोर से हॅसने लगी।मैने कहा चलन ये तो मजाक कि बात हो गई पर सच कहूँ तो अब तुम्हें अपनी फैमिली की बात मान लेनी चाहिए तुम्हें तो पता ही है कि कोई भी मम्मी-डैडी या भाई, या और कोई भी फैमिली मेम्बर आपके बारे में हमेशा अच्छा ही सोचेंगे अगर तुम्हें जरा सी भी परेशानी होती है तो दर्द उनके दिल को भी होता है, और ये मस्ती, ये घूमना फिरना, शरारते करना, मौज करना एक ऐज लिमिट तक ही अच्छा लगता है, और ऐसा नहीं कि शादी के बाद तुम्हें ये सब करने को नहीं मिलेगा बस कायदे और मर्यादायें बढ़ जायेगी और रही हमारी बात तो जैसे हम अब है बैसे ही बाद मैं भी रहेंगे। पल्लवी की आंखे थोड़ी नम हो गईं थीं वह बोली कि अभि मुझे पता है कि जो मैं चाहती हूँ वो कभी नहीं हो सकता और मैं भी इतनी सैल्फिस नहीं हूॅ कि मेरी खुशी के लिये तुम्हें या हमारी फैमिली को परेशान होना पड़े, शादी तो सबको ही करनी है एक दिन पर मैं तुम्हारे साथ कुछ वक्त और गुजारना चाहती थीं इसलिए अभी शादी करना नहीं चाह रही थी।वैसे भी मेरी शादी के बाद हमारे रास्ते या फिर शायद जिंदगी ही बदल जाये।

बातों-बातों में ही ट्रेन आ गयी फिर मैने पल्लवी के आंशू पोछे और बोला कि पल्लवी क्या तुम अपने सबसे अच्छे दोस्त को ऐसे आंशू बहाते हुए विदा करोगी इस पर पल्लवी थोड़ा सा मुस्करा दी फिर मैं ट्रेन में चढ़ गया और पल्लवी से कहा कि पल्लवी एक सीरियस बात बोलू तब उसने हाँ कहा फिर मैने उसके कान में कहा-पल्लवी आज बड़ी अच्छी मूवी लगी है थिएटर पर में और दो टिकट रूबिना की गाड़ी में मैंने रख दी हैं पर तुम वहां डाॅन्स मत करने लग जाना नहीं तो तुम्हें थिएटर से बाहर पिकाल दिया जायेगा और खामखाॅ रूबिना तुम पर टूट पड़ेगी इस पर पल्लवी जोर से हंसने लगी।
ट्रेन आगे बढ़ने लगी मैधे पल्लवी से एक बार फिर कहा कि जो मैने कहा उसका क्या तब तक ट्रेन काफी आगे आ गयी थी तब पल्लवी जोर से चिल्ला कर बोलो सोचकर बताऊंगी पर पहले जाॅब फिर शादी का सोच सकती हूॅ फिर मैने उसे दोनों हाथ के थम्प इशारे से उससे कहा ओके डन।ट्रेन चल रही थी मैं पल्लवी से दूर होते जा रहा था पल्लवी पीछे मुड़ गई और ऐसा लग रहा ता कि पल्लवी पीछे मुड़कर जोर सृ रो रही हो मुझे भी ऐसा लगा कि शायद यह हमारी आखिरी मुलाकात है जो हमने इतना वक्त एक साथ बिताया और अब मेरी भी आंखे नम हो गईं थी।धीरे-धीरे पल्लवी आंखों से ओछल होती गई और कुछ देर बाद आंखों से नजर आना बंद हो गई शायद अब ट्रेन काफी दूर आ चुकी थी।

उस दिन के बाद ऐसा लगा जैसे सच में मैने एक बहुत अहम शख्स को खो दिया हो,
भले ही मैंने पल्लवी से शादी के लिये हाँ करवा ली हो पर कहीं न कहीं दिल की धड़कनो से आवाज आ रही थी कि मैंने जो भी किया है उसमें कुछ भी सही नहीं हुआ है
बल्कि मैंने खुद के साथ-साथ पल्लवी का दिल भी दुखाया है।
पर अगर दिमाग की सुनू तो मैंने जो भी किया वह सही मायने में बिल्कुल ठीक है।
उसके बाद पल्लवी से मेरा मिलना तो नहीं हो पाया पर उससे फोन पर बात हो जाती थी।पल्लवी ने कई बार मिलने की कोशिश की पर मैने हर बार कुछ न कुछ बहाना बनाकर टाल दिया, मिलना तो मैं चाहता था पर मैं उसके और करीब नहीं जाना चाहता था इसलिए मैं उससे मिल न सका।

पल्लवी ने विराट से मिलने के लिये अपने घर वालों से हाँ कर दी उसके बाद पल्लवी उससे मिली और उसे पसंद भी कर लिया पर पल्लवी को शादी से पहले जाॅब करनी थी क्योंकि वो किसी पर बोझ नहीं बनना चाहती थी।
विराट खुद एक साफ्टवेयर कंपनी का एम. डी. है इसलिए उसने पल्लवी को जाॅब आॅफर की क्योंकि पल्लवी एक होनहार इंजीनियर जो थी, तो पल्लवी भी इस जाॅब के लिये मान गयी।
अब भी पल्लवी जब भी फ्री होती तो उसका टाइम मुझसे बात करने में ही गुजरता था।

विराट भी की बार मुझसे मिला मुझसे एडवाइज़ भी ली कि आखिर वह ऐसा क्या करें जिससे पल्लवी उसमें इन्ट्रस्ट ले और उसके साथ कुछ टाइम स्पेन्ड करे जिससे वे एक-दूसरे को जान सके, और समझ सके और पल्लवी की पसंद नपसंद के बारे में भी पूछा और पल्लवी पर ये सब ट्राई भी किया पर इससे भी कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा।

ऐसे ही टाईम निकलता गया और एक दिन पल्लवी और विराट की इंगेजमेन्ट भी हो गयी पर मैने फिर बहाना बना दिया और उसकी इंगेजमेन्ट में नहीं गया।इस पर पल्लवी नाराज हो गयी पर अब तक उसे ये पता चल गया था कि मैं उससे मिलना नहीं चाहता पर ये नहीं पता था कि आखिर मैं उससे क्यों नहीं मिलना चाहता।

मैं भी कुछ ऐसा ही करना चाहता था जिससे मेरी और पल्लवी की नजदीकियाॅ खत्म हो जाये, और वह विराट को समझने लगे क्योंकि विराट ही उसका सबकुछ जो होने वाला था और इसके लिये मैं कुछ भी करने को तैयार था।

पल्लवी की जब भी काॅल आती तो मैं उससे छोटी-छोटी बातों में लड़ने लगता और ज्यादातर उसकी काॅल अटेन्ड नहीं करता और करता भी तो उल्टा उसे ही डाॅट देता, पर ऐसा करने के बाद ऐसा लगता जैसे मैं खुद को ही सजा दे रहा हूँ, पर मैं क्या करता मेरे पास बस यही एक तरीका बचा था जिससे मैं पल्लवी और विराट को पास ला सकता था।

एक दिन पल्लवी की काॅल आयी और उस दिन पल्लवी ने मुझसे बस इतना पूछा कि अभि ऐसा क्या कर दिया मैने जो न तो तुम मुझसे मिलना चाहते हो बल्कि मेरी आवाज तक सुनना नहीं चाहते अगर ऐसा ही है तो मै तुम्हें आज के बाद कभी परेशान नहीं करूँगी, पर उससे पहले मुझे ये बता दो कि आखिर मेरी गलती क्या है।

मन तो कर रहा था कि सबकुछ सच-सच बता दूॅ कि अब तुम्हें देखे बिना रहा नहीं जाता पर खुद पर काबू करके मैन कहा

पल्लवी मेरी जिंदगी में कोई आ गयी है, और वो मुझसे बहुत प्यार करती है, वो तुम्हारे जितनी अच्छी तो नहीं, पर मुझे पसंद है, पल्लवी बोली अभि तुम खुश तो हो न उसके साथ,जहां मैं उसकी खुशी के उससे झगड़ा कर लिया वही कम्बक्त उसे बस मेरी खुशी की पड़ी थी।

उसके बाद पल्लवी बोली अभि क्या तुम बस एक बार उस लड़की से मेरी बात करा सकते हो, अगर हम दोनों के बीच कुछ भी बचा हैं तो प्लीज एक बार उससे मेरी बात करा दो।

मैंने हाँ बोल दिया और उसका नाम रूध्दिमा मल्होत्रा बता दिया, और ये भी कह दिया कि वह तुम्हें खुद काॅल कर लेगी।

पर रियल में ऐसी कोई लड़की तो थी नहीं जिससे मै पल्लवी की बात कराता
तो प्लान के अकार्डिंग पल्लवी की बेस्ट फ्रेड रूविना को ही पल्लवी से बात करनी थी।

रूबीना ऐसा बिल्कुल नहीं चाहती थी कि वह अपनी दोस्त को धोखा दे पर वह मुझसे प्राॅमिस कर चुकी थी इसलिए रूबीना ने वाॅयस चेन्ज करके पल्लवी से बात कर ही ली।

बाद में रूबीना ने बताया कि पल्लवी हर बात में तुम्हारी ही तारीफ कर रही थी, और कह रही थी कि तुम बड़ी किश्मत वाली हो जो तुम्हें अभि मिला हैं वरना कुछ बदकिश्मत लोग भी हैं।

पर मेरे हिसाब से किश्मत वाला तो विराट है जिससे पल्लवी जैसी लड़की की शादी होने वाली थी।
इस सब के बाद मेरा काॅलेज से ही जाॅब के लिये प्लेसमेंट हो गया और मैं ट्रेनिंग के लिये चेन्नई चले गया और फिर पल्लवी की जिंदगी में कभी वापस आने को नहीं सोचा, पर शायद किस्मत को ये मंजूर न था।ट्रेनिंग के बाद मुझे मुम्बई में जाॅब के लिये भेज दिया गया, और फिर एक दिन मैने पल्लवी को विराट के साथ एक रेस्टोरेन्ट में देखा दोनों खुश थे, पल्लवी को मैं कभी भुला तो नहीं सकता पर उसे विराट के साथ खुश देखकर दिल को सुकून मिला और मैं चाह कर भी उससे न मिला।

वैसे तो मम्मी-पापा मुझसे मिलने आ जाया करते थे पर पापा कि जाॅब की वज़ह से उन लोगों को घर ही रहना पड़ता था, और मम्मी के मोटापे के वज़ह से वह बिमार रहती थी, फि एक दिन अचानक काॅल आयी कि मम्मी की तबियत ज्यादा खराब हो गयी हैं फिर क्या मैं दौड़ा-दौड़ा घर आ गया घर आ के पता चला कि मम्मी तो बिल्कुल ठीक हैं वस मुझे वहाना बनाकर बुलाया गया था।ताकि मैं और पल्लवी एक हो सके।

आज इते दिनों बाद मैं पल्लवी से मिलने वाला था, दिल में कुछ अजीब सी हलचल थी और मन भी विचलित था।
सोच रहा था कि पल्लवी अब करन के साथ खुश होगी और शायद अब तक तो उसने मुझे और मेरे प्यार को भी भुला दिया होगा,या हम दोनों के बीच अब पहले जैसा कुछ नहीं होगा और शायद पल्लवी मुझसे नाराज होगी क्योंकि न तो मैं उसकी इंगेजमेन्ट और शादी में नहीं गया और न ही इतने दिनों में मैने उससे कोई कांटेक्ट किया था।

पर जैसा मैं सोच रहा था शायद ऐसा कुछ नहीं था, पल्लवी हमेशा की तरह ही दरवाजे के बाहर ही मेरा इंतजार कर रही थी और मेरे पहुँचते ही मेरे गले से लग गयी।

पल्लवी मुझे अन्दर ले गयी उसके बाद मैं सबसे मिला पर और हाल-चाल पूछे पर इन सब बातों में मुझे एक चीज अजीब लग रही थी। वो बात ये थी कि पल्लवी ने न तो मांग में सिंदूर भरा था और न ही बड़ा सा मंगलसूत्र पहना था। मैने सोचा कि मार्डन लड़की इसलिए कुछ पूछना मुनासिव नहीं समझा।

सबसे मिलने और बातें करते-करते कब रात हो गयी कुछ पता ही नहीं चला।

दीदी ने नीचे से खाना खाने के लिये आवाज दी,वैसे तो जीजू के यहां दिन में तो सब लोग बिजी रहते हैं, रात का डिनर सब लोज एक साथ ही करते हैं। डाईनिंग टेबल के पास मैं पल्लवी के सामने वाली चेयर पर ही बैठा था, मैं उससे बात करना चाह रहा था पर समझ नहीं आ रहा था कि आखिर बात कहा से शुरू करू, किस मूंह से कहूँ कि पल्लवी मैं जानबूझकर तुम्हारी शादी में नहीं आ पाया।

फिर भी मैंने आखिर हिम्मत करके पल्लवी के हाथ के बने पनीर पकौड़ो का सहारा लेते हुए कहा कि पनीर पकौड़े बहुत अच्छे बने हैं तब पल्लवी ने थैंक्स कहा और मैंने मौका देखकर बोल दिया कि शाॅरी पल्लवी मैं तुम्हारी शादी में नहीं आ पाया और मुझे ये भी पता है कि इस बात का तुम्हें बहुत बुरा लगा होगा, मेरा इतना कहना था कि पल्लवी खाना छोड़कर वहां से उठकर चली गयी। मुझे ये बात बहुत अजीब लगी पर उसके बाद मैं चुप ही रहा।

डिनर के बाद मैने दीदी से पूछा कि पल्लवी मेरे साथ इतना मिस विहेव क्यों कर रही है।तब दीदी ने कहा अभि तुम खुद ही क्यों नहीं पूछ लेते उससे वह टेरेस पर बैठी होगी अकेली चुपचाप।

मैं जब टेरेस पर गया तो पल्लवी बिलकुल शांत सी बैठी थी, मैं भी उसके पास जाकर उसके साथ चुपचाप बैठ गया, कुछ देर ऐसे ही शांत हम दोनों बैठे रहे फिर आखिर मैंने ही उससे धीरे से पूछा नाराज हो मुझसे तब पल्लवी ने हाॅ मे सिर हिलाया, तब मैंने उससे कहा साॅरी यार मैं तुम्हारी शादी में नहीं आ सका और हाॅ तुम खुश तो हो?

तब पल्लवी बोली इट्स ओके यार मैं नाराज इसलिए हूॅ कि इतने दिन हो गये और तुमने मुझसे कान्टेक्ट करने कि कोशिश नहीं कि बल्कि इसलिए नहीं कि तुम मेरी शादी में नहीं आये शादी में तो तब आते जब मेरी शादी होती और इतना कहते ही पल्लवी उदास सी हो गयी।

तब मैने उससे कहा साॅरी यार तुम्हें बहुत बुरा लगा होगा तुम्हारी शादी टूट गयी और इस बारे में किसी मुझे बताया तक नहीं तब पल्लवी बोली इट्स ओके यार मैने ही सबको मना किया था तुम्हें कुछ बताने को और तुमने भी तो मुझे कोई कान्टेक्ट नहीं किया फिर मैं क्यो किसी को तुम्हें अपनी बातें बताने दूं।

वैसे भी मेरी शादी टूट गयी इससे मुझे किसी से कोई नाराजगी नहीं बल्कि मैं बहुत खुश हूॅ इसलिए कि अब मुझे तुम दुबारा से मिले हो और इस बार मैं तुम्हें नहीं छोड़ने वाली जहां तुम वहाँ मैं तुम्हारे साथ-साथ।

फिर मैने उससे कहा और अगर मैं तुम्हारे साथ रहूँगा तो वो मेरी गर्लफ्रेन्ड का क्या होगा जिससे मैने तुम्हारी बात करवायी थी। तब पल्लवी ने मेरी गुस्से से मेरी तरफ देखा और वोली अब ज्यादा नाटक मत करो मुझे पता है कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेन्ड न तो तब थी और न अब है, मुझे रूबीना ने तुम्हारे सारे नाटक के बारे में मुझे बता दिया।

अब ये जो हमारे बीच चल रहा है न ये बात सबको पता चल गयी है, और किसी को भी कोई एतराज नहीं है हमारी शादी से, और जनाब तुम्हें जब इतना ही प्यार था मुझसे,तो कभी बताया क्यों नहीं और मुझे ऐसे अकेले छोड़कर क्यों चले गये, और इतने दिन हो गये तुमने मुझसे बात भी नहीं की कभी सोचा कि तुम्हारे बिना मेरा क्या हुआ होगा? और अब पल्लवी की आंखों में आंशू आ गये थे।मैने उसे गले लगा लिया और कहा साॅरी अब मैं कभी भी तुम्हें छोड़कर नहीं जाऊँगा, तब पल्लवी बोली अब मैं तुम्हें जाने भी नहीं दूंगी अगर ऐसे कभी गये तो मैं तुम्हारी जान ले लूंगी।

मैनें पल्लवी से कहा अच्छा ये तो बताओ कि तुम्हारी शादी टूटने की वजह क्या थी।
तब पल्लवी बोली कि वो साला करन पहले से ही किसी को प्रेगनेन्ट करके बैठा था और मुझसे तो वह बस अपने घरवालों के कहने पर शादी कर रहा था।शादी से एक दिन पहले ये बात सबको पता चल गयी और फिर शादी कैंसल फिर मैने कुछ दिन तक घरवालों के सामने उदास रहने का नाटक किया और फिर सही टाइम देखकर भाभी के सपोर्ट में सबको हमारे बारे में बता दिया और सब खुशी-खुशी हमारी शादी को मान भी गये।

मैने पल्लवी से कहा अगर करन के लव अफेयर के बारे में पता नहीं चला होता तब तो तुम्हारी शादी हो चुकी होती और मैं बेचारा अरजीत सिंह के सेड सांग सुन रहा होता।तब पल्लवी बोली ऐसा कभी नहीं होता।
एक्चुअली तुम्हारे जाने के बाद मैं मुम्बई चली गई और मेरे साथ रूबीना भी हम दोनों ने साथ-साथ कंपनी ज्वाइन की,शादी के डेट भी पास आ रही थी और मैं ये शादी सिर्फ इसलिए कर रहीं थी कि तुम अपनी गर्लफ्रेन्ड के साथ खुश रहो और मेरे बारे में सोचना बंद कर दो पर रूबिना को भी पता था कि मैं इस शादी से खुश नहीं हूॅ मैं अभी भी तुम्हें चाहती हूॅ इसलिए उससे मेरी हालत देखी न गयी और उसने मुझे तुम्हारे बारे में सबकुछ सच-सच बता दिया।

अब हम दोनों कुछ ऐसा स्ट्रोंग वहाना ढूँढने लगे जिससे ये शादी टूट जाये।हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे।
फिर एक दिन हम दोनों को करन ने डिनर पर इंवाइट किया, जब मेरी हम दोनों करन के साथ डिनर कर रहे थे तभी अचानक करन का कोई काॅलेज फ्रेंड मिला और उन दोनों कि बातें होने लगी वह बार-बार करन की कोई पूजा पटेल नाम की गर्लफ्रेन्ड की बात कर रहा था, फिर क्या हमें सक हुआ और रूबिना ने सारी इंक्वारी कर डाली और फिर सब कुछ एक्सपोस और शादी कैन्सिल।

फिर हम दोनों जोर-जोर से हंसने लगे तभी पीछे से आवाज आयी हेय धीरे नीचे सब सो रहे हैं।पीछे मुड़कर देखा तो सामने जीजू और दीदी थे।जीजू बोले साले साहब अगर मेल-मिलाव हो गया हो तो चलो अब नीचे काफी रात हो गयी है, फिर हम सब नीचे आ गये और सो गये।

दयाल कुशवाह

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