कविता

// जीवन पथ में…//

ये जरूरतें हैं, हमारे बीच में
एक दूसरे को मिलती
बंधु – बाँधव – मित्र – शत्रु,
छल,कपट सभी जीवन में
वो चलाती हैं
ये जरूरते हैं जो अपना जाल बिछाते
भोग लालसता की ओर खींचते
वर्ण – जाति – धर्म – कर्म – मर्म में
हर जगह ज़हर भरके
मनुष्य को मनुष्यता से दूर किया है।

इच्छाओं पर अंकुश लगाते
साधारण जीवन में
जो संतुष्ट होते हैं
प्रफुल्लित हो जाते अपने आप में
परिश्रम में लगन से रहते भरपूर
वो आदर्श रच पाते हैं
जो जागरूक रहते हैं
अपने ध्यान से, एकाग्रचित्त में
निज धर्मधारी बन जाते
वो ही सच जानते हैं
जो सत्य के साथ चलते
मानवता का रूप बनते
समानता के स्तर पर
सबमें अपना रूप देखते हैं
इस दुनिया में
वो ही धर्म का अधिकारी हो जाते हैं।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।