राजनीति

एंटी भू- माफिया अभियान से गरीबों को मिल सकेंगे सस्ते घर

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दो तिहाई बहुमत से भाजपा की सरकार बनने के बाद अब प्रदेश में भ्रष्टाचार, अपराध और अपराधियों के खिलाफ एक्शन शुरू हो चुके हैं जिनके परिणाम बहुत ही जल्दी देखने को मिलेंगे। प्रदेश सरकार अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र को लागू करने के लिए कृतसंकल्प है। इसी सिलसिले में योगी सरकार ने अपनी चैथी कैबिनेट की बैठक में अपना एक और बहुत बड़ा वादा पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है जिसकी काफी प्रशंसा की जा रही है व जिसके कारण अपराधियों व भू-माफियाओं में भय की लहर दौड़ गयी है।
प्रदेश सरकार ने अपने चुनावी वादे को निभाते हुए सरकारी व निजी संपत्तियों को अवैध कब्जों से मुक्त कराने के लिए व दोषियों को सजा दिलाने के लिए चार स्तरीय एंटी भू माफिया टास्क फोर्स तहसील, जिला मंडल और राज्य स्तर पर गठित करने का फैसला किया है। सरकारी व निजी संपत्तियों पर अवैध कब्जे की शिकायतें तहसील दिवस पर या सीधे किये जाने के अलावा आनलाइन पोर्टल भी तैयार कराया जायेगा। जब तक यह पोर्टल तैयार नहीं हो जाता तब तक लोग शिकायतें एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली के तहत संचालित जनसुनवाई पोर्टल पर करा सकेंगे। इतना ही नहीं इसको और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए अवैध कब्जों को चिह्नित करने के लिए दो महीने का विशेष अभियान भी चलाया जायेगा। जिलाधिकारी की अगुवाई में जिलास्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया जायेगा। अवैध कब्जे चिह्नित होने के बाद संबंधित विभाग अपने शासनादेशों के अनुार उन्हें खाली कराने की कार्यवाही करेंगे।
सरकार के उक्त फैसले के बाद अब प्रदेशभर में भू माफियाओं के दिन लद गये हैं। चुनावों में अवैध कब्जा एक बहुत बड़ा मुददा बना था। टास्क फोर्स के गठन के ऐलान के बाद भू माफियाओें में हलचल व चिंता की लकीरें साफ देखी जा रही हैं। अभी जिस प्रकार से प्रदेश सरकार आगे बढ़ रही है उससे प्रतीत हो रहा है कि अब प्रदेशभर में इन तत्वों की राह आसान नहीं होने जा रही।
पूरे प्रदेश में हर जिले में अवैध कब्जों का मायाजाल फैला हुआ है। जमीन कब्जाने के खेल में सबसे आगे समाजवादी और बसपाई नेता, विधायक व सांसद आदि लोग रहे हैं। इन भू-माफियाओं का एक बहुत बड़ा गैंग प्रदेशभर में फैला हुआ है जिसके कारण ही जमीनों के दाम आसमान छू रहे हैं तथा गरीबों के लिए अपना मकान बनवाना व जमीन को बचाकर रखना एक बहुत बड़ी समस्या बन गया है। जिन गरीबों की जमीनें दबंगों ने कब्जा कर रखी हैं अब उन लोगों के चेहरे पर मुस्कान वापस आ रही है। भू माफियाओं से टकराना प्रदेश सरकार के लिए आसान नहीं होने जा रहा है। यह एक प्रकार से केंद्र सरकार के नोटबंदी से भी बड़ा कदम है।
अवैध कब्जे के खेल में अफसरशाही और पुलिस विभाग तो खुल्लमखुल्ला मिले हुए हैं ही, साथ ही एलडीए सहित सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों ने भी अपना खेल खूब खेला है। अब इन लोगों के दिन लद चुके हैं। सीएम योगी यह हिदायत भी दे चुके हैं कि प्रदेशभर के सभी अपराधी या गुंडे सुधर जायें या फिर प्रदेश छोड़कर चले जायें। सरकार के इस काम को अपराधजगत व नेतानगरी से जुडी हस्तियां फेल करने की हरसंभव कोशिश अवश्य करेंगी। इस काम में एक प्रकार से सरकारी मशीनरी की अग्निपरीक्षा भी होगी। यदि प्रदेश सरकार अपने इस अभियान में सफलतापूर्वक आगे बढ़ी और किसी भी प्रकार में दबाव में नहीं आयी तो सरकार और भाजपा के लिए यह आगामी 2019 और उससे पहले निकाय चुनाव तथा उपचुनावों में भी गेमचेंजर साबित हो सकता है।
पिछली सरकारों में लखनऊ विकास प्राधिकरण और गाजियाबाद विकास प्राधिकरणों ने गजब के खेल खेले हैं। लखनऊ विकास प्राधिकरण ने तो गोमती नगर विस्तार में सैकड़ों आवंटियों को सुलभ आवास योजना के तहत सेना की जमीन पर ही फ्लैट आवंटित कर दिये। इस तरह के किस्से पूरे प्रदेशभर में आम हैं। दूर दराज के गांवों व कस्बों आदि में दबंगों ने जमीनों पर कब्जा कर रखा है, उन पर अवैध निर्माण हो रहे हैं तथा बिजली और पानी जैसी सुविधाओं का शुल्क नहीं दिया जा रहा है। राजधानी लखनऊ में ही सपा एमएलसी बुक्कल नवाब के अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त 75000 अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण का काम शुरू होने जा रहा है। प्रदेश में भू माफिया का एक बहुत बड़ा मकड़जाल है जो बिजली के कटियाबाजों से भी कहीं अधिक खतरनाक हैं। अभी तक यह मकड़जाल खूब मस्ती कर रहा था, सरकारों को अपनी मानकर चल रहा था। लेकिन अब एक झटके में सबकुछ समाप्त हो चुका है। जब 11 मार्च को प्रदेश में भाजपा की जीत हो गयी तभी इन लोगों को संकेत मिल चुका था लेकिन योगी जी का जब मुख्यमंत्री पद के लिए चयन हो गया तब इन लोगों के हाथ-पैर फूल गये थे। आज प्रदेश के जो हालात बिगड़े हैं उसमें सुधार करने के लिए योगी आदित्यनाथ जैसा व्यक्तित्व ही काफी है। जमीन कब्जाने के खेल में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लेकर उनके सभी चाचाओं ने भी जमकर जमीनों पर अवैध कब्जे किये हैं तथा अवैध निर्माण करवाकर कालाधन जमा किया है। यही हाल बसपा और कांग्रेस का भी है। बसपा नेत्री मायावती को तो दौलत की बेटी कहा भी जाता है। जमीन कब्जाने के खेल में रालोद जैसे छुटभैये दल भी कम नहीं हैं। अभी इस पर यदि सही तरीके से कार्यवाही प्रारम्भ हो गयी तो रालोद नेता अजीत सिंह व उनकी पार्टी के कई नेता जेल जाने की स्थिति में आ सकते है।
एंटी भू माफिया अभियान के बाद एक के बाद सफेदपोश नेताओं व बाबुओं के चेहरे से नकाब उतर सकता है। यही कारण है कि अपने आप को बचाने के लिए अब सभी लोग महागठबंधन की बात करने लग गये हैं। ईवीएम की आलोचना होने लग गयी है। लोग अपनी गलतियों को सुधारने का प्रयास नहीं कर रहे हैं अपितु और अधिक गलतियां लगातार कर रहे हैं। यदि कहीं प्रदेश के विपक्ष ने नोटबंदी की तरह एंटी भू-माफिया अभियान का भी विरोध करना शुरू कर दिया तो ये दल अगले चुनावों में सीट ही नहीं, एक-एक वोट के लिए भी तरस जायेंगे।
संपूर्ण प्रदेश से यदि जमीनों को अवैध कब्जों से मुक्त करा लिया जाये तो प्रदेशभर के गरीबों को सस्ते मकान मकान भी आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे। सरकार का यह निर्णय ऐतिहासिक है। अपराधियों में खलबली है। गरीबों के चेहरे पर तथा जिन लोगों की जमीन कब्जाई गयी है अब उन लोगों के मन में वास्तव में एक आस जगी है।

मृत्युंजय दीक्षित