छोड दी जिंदगी को,
छोड दी जिंदगी को,
वक्त के हवाले;
आधी पढ़ के,
जैसे कोइ किताब!
बहे गया प्रवाह,
सरलता की सरिता में;
डूब गयी नदी,
जैसे कोइ सागर में!
तूट गया कोइ तारा,
मुरादें पूरी करने;
खाली किया आसमान को,
जैसे कोइ जैल, मुजरिमों से।
छोड दी जिंदगी को,
वक्त के हवाले…
©मयूर जसवानी