लघुकथा

गलती या गुनाह ?

शादी के बाद दूल्हा दुल्हन स्टेज पर बैठे  हुए थे सभी लोग उन दोनों को और उनके  माता पिता को बधाइयां दे रहे थे, दुल्हन का भाई और भाभी  उनको आशीर्वाद दे रहे थे भाई अपनी बहन के सर पर स्नेह भरा हाथ रखते हुए बोला “सदा सुखी रहो मेरी बहन, आज तू हमारा आँगन सुना करके चली जायेगी तेरे बिना कैसे जी लगेगा हमारा ” दोनों भाई बहन कीआँखों सेआंसू बहने लगे | दो प्यारे प्यारे बच्चे भी भुआ से लिपट कर अपना प्यार जाहिर कर रहे थे ।
                     डोली जाने का वक्त हो रहा था सभी बेटी की विधाई के इंतज़ाम में व्यस्त थे। दूसरी तरफ दूल्हे का बड़ा भाई,अपनी झूटी शान के नशे में, बार बार अपनी बन्दूक से आसमान की तरफ गोलियां दागे जा रहा था| उसने बेहद शराब पी रखी थी और किसी की बात भी नहीं सुन रहा था|  लड़की के पिता ने उनके परिवार वालो को बहुत मना किया की इस तरह गोलिया चला कर क्या ख़ुशी मनानी, इस दोनाली का क्या भरोसा, कब किस की जान ले ले, ऐसे सब की जान खतरे में डालना अच्छी बात नहीं, ख़ुशी ही मनानी है तो नाचो गाओ, मिल कर ख़ुशी मनाओ|”  पर इन सब बातों का उन पर कोई असर नहीं हुआ। वैसे भी लड़की वालो की हमारे समाज में सुनता  कौन है ।
 थोड़ी देर बाद बाहर गोली चली और हर तरफ चीखे गूंजने लगी बन्दूक का रुख बदलने से, दुल्हन के भाई की गोली लगने के कारण  मृत्यु हो चुकी थी ख़ुशी का माहोल  मातम में बदल चूका थाऔर दूसरी तरफ लड़के के परिवार वाले यही कहे जा रहे थे माफ़ कर दीजिए  ये सब गलती से हो गया, क्या खबर थी की ये सब हो जायेगा | उसके मात पिता, बहन,बीवी और बच्चे फुट फुट कर रो रहे थे बहन की डोली को रुखसत करने वाला भाई खुद इस दुनिया से रुखसत हो चूका था । दुल्हन ने ऐसे परिवार के साथ जाने से मना कर दिया, जिन के कारन उसके भाई की मृत्यु हुई ,माता पिता की आँखों का चिराग सदा के लिए बुझ गया ,भाभी विध्वा और बच्चे अनाथ हो गए । फूट फूट कर रोते हुए वो यही दोहराए जा रही थी ये गलती नहीं गुनाह है … ये गलती नहीं गुनाह है |