लघुकथा

कंजूस

आज देव सिंह की वसीयत पढ़ी जानी थी। उसके बच्चे तथा करीबी लोग उपस्थित थे।
देव सिंह सभी के बीच कंजूस के नाम से मशहूर था। सब उसका मज़ाक उड़ाते थे। जीवन भर कष्ट सह कर एक एक पैसा दांत से पकड़ कर रखता था।
बच्चों को उम्मीद थी कि जायदाद उन्हें ही मिलेंगी। हलांकि पिछले पांच सालों में किसी ने भी उसकी सुध नहीं ली थी।
वसीसत पढ़ी गई तो सभी दंग रह गए। अपना मकान वह एक स्वयं सेवी संस्था को दान कर गया था। जहाँ उन अकेले बुज़र्गों को जिनका कोई ठिकाना नहीं हो आसरा मिल सके। अपना बैंक बैलेंस उसने एक ट्रस्ट के सुपुर्द कर दिया था। जिसका प्रयोग गरीब किंतु मेधावी छात्रों की शिक्षा पर होना था।

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है