बाल कहानी

नन्हा जासूस !

रात के करीब बारह बज रहे थे, सारे मौहल्ले में तकरीबन सन्नाटा था ! शानु को नींद नहीं आ रही थी बस करवटे ले रहा था, ममी तो दिनभर की थकावट से बिस्तर पर पड़ते ही सो गईं थी। अचानक शानु ने एक हल्की सी आवाज़ सुनी आवाज़ किसी गाड़ी की थी और कुछ लोगों की फुसफुसाहट भी सुनाई दे रही थी , शानु ने कमरे की खिड़की जो बाहर की तरफ खुलती थी उस पर कान लगाकर सुना वो किसी सामान उठाने के बारे में बात कर रहे थे और जल्दी जल्दी कुछ चीज़े उठाकर गाड़ी में डालते चले गए। अँधेरा होने की वजह से शानु उनका चेहरा ठीक से नहीं देख पाया क्योंकि वो भी छुपकर उनकी बाते सुन रहा था अगर वो ज़रा सी भी आवाज़ करता तो कुछ भी हो सकता था। पापा शहर से बाहर थे, ममी और शानु घर पर अकेले थे, ममी तो खरा्टे लेकर सो रही थीं और पूरी सच्चाई भी पता नहीं थी। शानु सात वर्ष का था, पर था बहुत होशियार,उसने छुप कर देखा कि तीन लोग सामान डालकर गाड़ी मे चुपचाप बैठ रहे थे कि आगे बैठने वाले अंकल की जेब से कुछ गिरने की आवाज़ आई क्योंकि गली मे बहुत सन्नाटा था और गाड़ी में बैठ कर चल दिए। दिन में शौर मच गया कि मौहल्ले में चोरी हुई है और चोर बहुत कीमती सामान चुराकर और बहुत महंगी गाड़ी लेकर भागे हैं । सारे घरवाले दुखी हो रहे थे क्योंकि वो किसी शादी के समारोह में शहर के बाहर गए थे और दो बजे के करीब घर आए थे तब तक सब चोरी हो गया था, अपनी नई महंगी गाड़ी खराब न हो जाए इसिलिए वो पुरानी गाड़ी में गए थे , उनका तो सब कुछ लुट चुका था। पुलिस को खबर दे दी गई थी। ,सभी से पूछा गया कि किसी ने कुछ देखा या सुना हो तो बता दे जिससे चोरों को पकड़ने में आसानी हो। शानु फटाफट से उनके पास आकर बोला हाँ अंकल मुझे नींद नहीं आ रही थी वो हमारी ही खिड़की के पास खड़े बातें कर रहे थे, सारा सामान वो गाड़ी में डालने को कह रहे थे, और किसी ढाबे पर इकट्ठे होने के लिए कह रहे थे,वो तीन लोग थे। पुलिस वाले ने जब कुछ शक्ल का अंदाज़ा पूछा तो शानु ने कहा कि बस अंकल आपके जितना कद था और पैट्रोल की भी बात कर रहे थे उनके पास से कुछ गिरने की भी आवाज़ आई थी तो शानु ने खिड़की के पास तलाशना शुरु किया तो उसे एक पर्स दिखा जो उनमे से किसी चोर का था , जब पुलिस वाले ने वो पर्स घरवालों को दिखाया तो उनकी आँखें खुली की खुली रह गई क्योंकि वो उनका दूर का रिशतेदार था उसमे उसका पासपोर्ट था,एक चोर का पता चलने पर बाकियों को ढूंढना मुशकिल नहीं था। पुलिसवालों के लिए काम बहुत आसान हो गया था जल्दी ही उस रिशतेदार को ढाबे के पास से पकड़ लिया गया क्योंकि गाड़ी में पैट्रोल भी डलाना था और वो ढाबा पैट्रोल पंप के पास था जो शानु की बातों से अंदाज़ा लगाया था पुलिस ने,चोरों को पकड़ा गया और सच उगलवाया गया तो बाकि साथियों का भी पता चल गया था। घरवाले तो सपने में भी अपने रिशतेदार पर शक नहीं कर पाते , मगर नन्हे जासूस ने तो सारा काम कर दिया था। उनको अपना सारा सामान जल्द ही गाड़ी के साथ मिल गया था क्योंकि वो अभी चोरी कर के शहर के बाहर भी नहीं पहुंच पाए थे कि पकड़े गए थे। ममी ने जल्दी ही पापा को फोन कर के शानु की होशियारी की बात सुनाई पर आगे से उन्हे जगाने के लिए भी कहा कि वो अभी नन्हा है। जल्दबाज़ी मे अगर चोरों को बाते सुनने का उन्हे देखने का पता चल जाता तो वो शानु को नुकसान भी पहुंचा सकते थे,पर शानु तो बहुत खुश था और किसी फिल्म के हीरो की तरह बर्ताब कर रहा था। माँ अपने नन्हे जासूस को देख मन ही मन मुस्कुरा रही थी।

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |