स्वास्थ्य

चोट लगने पर प्राकृतिक चिकित्सा

कई बार हमें घर पर या बाहर चोट लग जाती है। कभी-कभी खून भी निकलने लगता है। ऐसी स्थितियों में आप सफलता से घरेलू प्राकृतिक चिकित्सा स्वयं कर सकते हैं और न्यूनतम समय में स्वस्थ हो सकते हैं।

चोट लगने पर सबसे पहले यह देखिये कि शरीर के किस भाग में चोट लगी है और वहाँ खून निकल रहा है या नहीं। यदि खून न निकल रहा हो, तो चोट वाले स्थान पर तत्काल बर्फ का टुकड़ा लगाना चाहिए। यदि बर्फ तत्काल उपलब्ध न हो तो उस स्थान को ठंडे पानी से धोना चाहिए। यदि ऐसे अंग में चोट लगी हो जिसे पानी में डुबोया जा सकता है, जैसे हाथ और पैर, तो तुरन्त उसको ठंडे पानी में डुबो देना चाहिए। ऐसा करने पर 90 प्रतिशत मामलों में दर्द से तुरन्त राहत मिल जाती है।

यदि ठंडे पानी में डुबोने और बर्फ लगाने पर भी दर्द से आराम न मिल रहा हो, तो वहाँ हेयरलाइन फ्रैक्चर हो सकता है। ऐसी स्थिति में उस स्थान का एक्सरे कराना चाहिए और पट्टी बँधवा लेनी चाहिए। लगभग 15 दिनों में ऐसा फ्रैक्चर अपने आप जुड़ जाता है। यदि फ्रैक्चर बड़ा है, तो डाॅक्टर की सलाह पर चलना चाहिए।

अगर चोट लगने पर खून निकल रहा है, तो यह देखिये कि कितना खून निकल रहा है। यदि मामूली खरोंच आदि हो तो उस स्थान को ठंडे पानी से धोकर पहले वहाँ फिटकरी का टुकड़ा मलना चाहिए। इससे खून निकलना बन्द हो जाता है। फिर वहाँ बर्फ लगानी चाहिए या ठंडे पानी से गीली रुई बाँध लेनी चाहिए। रुई को ठंडे पानी से तर करते रहना चाहिए। ऐसा करने से दो-तीन दिन में ही आराम मिल जाता है। मरहम पट्टी कराने की कोई आवश्यकता नहीं है।

यदि घाव अधिक न हो, परन्तु खून अधिक निकल रहा हो और फिटकरी लगाने से भी बन्द न हो रहा हो, तो उस स्थान पर गोमूत्र या पुराने स्वमूत्र में भीगी रुई बाँधे लेनी चाहिए। ऐसा करने से खून निकलना बंद हो जाएगा और घाव जल्दी भर जाएगा। यदि गोमूत्र और पुराने स्वमूत्र का भी प्रबंध तुरन्त न हो सके, तो तब तक वहाँ ठंडे पानी में भीगी रुई लगाकर कसकर बाँध देना चाहिए।

बड़ा घाव होने पर या बहुत अधिक खून निकलने पर किसी अस्पताल में जाकर उचित मरहम पट्टी करा लेनी चाहिए और उनकी सलाह का पालन करना चाहिए।

विजय कुमार सिंघल
ज्येष्ठ कृ 3, सं 2074 वि (14 मई 2017)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com