कविता

गर दिल खुली किताब बन जाता

गर….
ये दिल, इक खुली किताब बन जाता !
तो जिंदगी जीना ही, बेहाल हो जाता !!

बिन बोले पढ़ लेते, सब इक-दूजे का हाल !
बिन बोले ही इक-दूजे से, दिले-इजहार हो जाता !!

बहुत से दिलों के, अरमान भी बिखरते !
क्योंकि दिल खुशफहमी का, शिकार हो ना पाता !!

शुक्र मानो ऐ यारो, दिल खुली किताब नहीं है !
वरना..
ख्वाबों की लाशों में, जीना दुर्भर हो जाता !!

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed