गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

मुमकिन पहरे तुमसे मिलने जाने में
रोक सकोगे क्या ख़्वाबों में आने में

सारे फ़न हैं  मुझमें उसको लगता है
उलझी है वो दुनिया को समझाने में

मैं लौटा तो छूट गयी मेरे पीछे
एक उदासी उसके ठौर ठिकाने में

एक नज़र दिख जाऊँ तो खिल खिल जाती
जाने क्या दिख जाता मुझ दीवाने में

शायद फिर गुज़रे हैं वो उन गलियों से
छू से गये अहसास वही अनजाने में

नाम लबों तक लाकर बात बदल देते
कितनी आगे हो तुम बात बनाने में

दिल धड़कन सब  नाम तुम्हारे लिख डाला
क्या रक्खा अब मिलने और मिलाने में
:प्रवीण श्रीवास्तव ‘प्रसून’

प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

नाम-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' जन्मतिथि-08/03/1983 पता- ग्राम सनगाँव पोस्ट बहरामपुर फतेहपुर उत्तर प्रदेश पिन 212622 शिक्षा- स्नातक (जीव विज्ञान) सम्प्रति- टेक्निकल इंचार्ज (एस एन एच ब्लड बैंक फतेहपुर उत्तर प्रदेश लेखन विधा- गीत, ग़ज़ल, लघुकथा, दोहे, हाइकु, इत्यादि। प्रकाशन: कई सहयोगी संकलनों एवं पत्र पत्रिकाओ में। सम्बद्धता: कोषाध्यक्ष अन्वेषी साहित्य संस्थान गतिविधि: विभिन्न मंचों से काव्यपाठ मोबाइल नम्बर एवम् व्हाट्सअप नम्बर: 8896865866 ईमेल : praveenkumar.94@rediffmail.com