कहानी

डॉ रेखा

“ये कहाँ जा रही हो अम्मी ?” पड़ोस वाली महिला ने पूछा
“अरे वो अपनी मधु है न उसके घर से खबर आयी है , उसके पेट में दर्द हो रहा है , पेट से है न वो , पिछला जापा भी मैंने किया था , इस बार भी …….” बूढ़ी अम्मा ने हंस कर उत्तर दिया ।
” हे भगवान किस युग में जीते है ये इस मधु के घर वाले , दुनिया भर के अस्पताल है , पर देखो तो अब भी दायी से जापा करवाना चाहते है वो भी घर में । ”

बूढ़ी अम्मा उन सबकी बातें सुन रही थी । लकड़ी की गाडी के सहारे से धीरे धीरे चलने वाली इस अम्मा का जीवन किसने देखा था , इन सब बातों के बीच वो अपने अतीत में खो गयी ।

” डॉक्टर रेखा , जल्दी चलिए वो रूम नंबर 12 की पेशेंट को लेबर पैन हो रहा है । ” नर्स ने कहा ।

” ओह ! जल्दी उसको लेबर रूम में शिफ्ट करो , तैयारी करो मैं अभी आ रही हूँ । ” डॉ रेखा ने नर्स को निर्देश दिया ।

डॉ रेखा पिछले कई वर्षो से जच्चा बच्चा वार्ड की इंचार्ज डॉक्टर थी , उनके हाथ में जैसे जादू था ,कोई केस फ़ैल न होता था , बड़ी सहजता से जापा करवाती थी । ऑपरेशन केस हो या नॉर्मल , डॉ रेखा बेहद गम्भीरता से हर पेशेंट पर ध्यान देती थी । चारों तरफ उनके चर्चे थे , उनका पति बिलकुल विपरीत था , एक नंबर का ऐय्याश व्यक्ति था , घर से पैसे चुरा कर शराब पीना , जुआ खेलना और भी बहुत सरे ऐब थे । डॉ रेखा के बहुत समझाने पर भी वो नहीं सुधरा । डॉ रेखा जिस अस्पताल में काम करती थी , वहां लोग उसका मझाक उड़ाते थे । जितना कमाती थी सब उसका पति उड़ा देता था । तनाव के चलते उसके केस बिगड़ते चले गए । नौबत यहाँ तक पहुँच गयी कि उसकी प्रक्टिस छीन ली गयी ।

क्रोध और ग्लानि के चलते वह एक अनजान गाँव में चली आयी , और वहाँ अपना गुज़ारा जैसे तैसे करने लगी । उसके हाथ में हुनर था , वह लकड़ी का काम भी जानती थी , सो गाँव में लकड़ी के खिलौने भी बनाती थी ।

आज जिस मधु के घर से बुलावा आया था , उस मधु की माँ का जापा भी डॉ रेखा ने ही किया था । गाँव में भले कोई न जानता हो , पर डॉ रेखा को अब भी उसके पुराने साथी जानते थे ।

प्रैक्टिस छूट गयी थी , पर डॉ रेखा का स्वभाव और हुनर से
पुराने लोग वाकिफ़ थे , उनकी अस्पताल में भी अच्छी खासी पहचान थी ।

मधु के घर जब वे पहुंची तो पता चला कि उन्हें करीब के अस्पताल में ले जाया गया है । डॉ रेखा भी वहीँ पहुँच गयी । वहां मधु को लेबर रुम में ले जाया गया था । नर्स बाहर आकर
फिर अंदर जा रही थी , अस्पताल नया नया जान पड़ रहा था , डॉ रेखा को भी फ़िक्र हो रही थी मधु की ।

नर्स का बार बार आना जाना रेखा को विचलित कर रहा था । रेखा से न रहा गया , उसने नर्स से पूछा ,” क्या बात है , कोई कंप्लीकेशन हो गयी है क्या ?”

नर्स ने डॉ रेखा की तरफ़ देखकर कहा ,” हाँ पेशेंट मधु का बच्चा उल्टा है , मैडम डॉ रेखा को कॉल करने का कह रही है ,
वे उन्हींकी स्टूडेंट रहीं है ,और पेशेंट भी बार बार डॉ रेखा को पुकार रही हैं । ”

मधु के घरवालों ने डॉ रेखा की तऱफ इशारा किया । वे नर्स के साथ तुरंत गयीं । अब तक मधु को ओ टी में शिफ्ट कर दिया गया था ,ऑक्सीजन की कमी हो गयी थी मधु के शारीर में ।

नर्स के जाते ही वहां स्टाफ मेम्बर्स काना फूसि करने लगे , ” मैडम भी कमाल है , ऐसी डॉ को बुला भेजा जिसकी प्रैक्टिस ही रद्द कर दी गयी है । कैसे कैसे लोग डॉक्टर बन जाते है , डॉक्टर के पेशे को बदनाम करते हैं । अब ये रेखा मैडम को क्यों बुलाया , क्या अपनी मैडम नहीं जानती कॉम्प्लिकेटेड केसेस को कैसे हैंडल करते हैं ? ”
किसीने कहा , ” यार छोडो अपन को क्या करना ! अपनी ड्यूटी करो और फुर्सत पाओ । ”
कुछ ही समय बाद ओ टी की लाइट बन्द हुई । बाहर आकर नर्स ने सूचना दी कि कॉम्प्लिकेशन के चलते ऑपरेशन की नौबत आ गयी थी , पर जरुरत नहीं पड़ी , सब ठीक है , और पेशेंट को बेटा हुआ है । ”

थोड़ी देर के बाद , डॉक्टर , डॉ रेखा के साथ बाहर आयी ,और मधु के घर वालों से बोलीं , आज आपने रेखा मैडम को बुलवाकर मुझे कृतार्थ किया है , मैंने अपनी गुरु की निगरानी में आज एक कॉम्प्लिकेटेड केस को हैंडल किया है । मैडम का आशीर्वाद आज मुझे मिला ।

सच कहूँ तो मैं ऑपरेशन ही करने वाली थी , पर मैडम के मार्गदर्शन से नॉर्मल डिलीवरी सम्भव हो पायी । यही तो होता है , एक्सपीरियंस बोलता है । धन्य हुई मैं आज ।

डॉ रेखा के मुख पर सन्तोष था , आज वे फिर जी उठी थी ।
ऐसे ही एक केस ने तो उनकी प्रैक्टिस छीन ली थी , आज वे खुद को पूर्ण मान रहीं थी ।

कल्पना भट्ट

कल्पना भट्ट श्री द्वारकाधीश मन्दिर चौक बाज़ार भोपाल 462001 मो न. 9424473377