कविता

“पवित्रा छंद”

*शिल्प~ मगण,भगण,सगण* (222, 211, 112), 9 वर्ण, 4 चरण, 2-2 समतुकांत

गोरी जागे सपन लिए

नैना खोले नमन लिए।

भोली भाली सुमन सखी

चाहें तेरी चमन सखी।।-1

कोरे कोरे नयन तिरे

सीधे साधे पवन झिरे।

कैसी है तू तरल सखी

प्यासे नैना सजल सखी।।-2

बोलो बैठो अनुज कभी

भैया भाभी महल सभी।

आओ प्यारे पहल करो

मीठी मीठी चुहल भरो।।-3

देखो रैना सरक रही

द्वारे मैना फरक रही।

साथी सारे मचल रहे

मौका मुग्धा मलक रहे।।-4

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ