अब हम भी ज़माने का सुख़न देख रहे हैं ।। बिकता है सुखनवर ये पतन देख रहे हैं ।। बदनाम न् हो जाये कहीं देश का प्रहरी । नफरत का सियासत में चलन देख रहे हैं...
उस दिन आफिस की डाक मार्क करते-करते अचानक एक शिकायतनुमा पत्र पर मेरी नजर ठहर गयी। एक ही झटके में या कहिए पूरा पत्र अपलक पढ़ गया था। पढ़ते ही दिमाग भन्ना गया था। घंटी दबाई...
मैने देखा , अपने घर के मंदिर के पास, चौराहे पर एक लड़का उसकी बहन और एक नन्ही सी बच्ची कर रहे थे पेट की भूख की लड़ाई हुई थी, वह ट्रेंड अपनी दुग्धावस्था से अगर गीर...
मानवता है धर्म मनुष्य का,फिर क्यों इससे बेजार हुआ जाति,धर्म,संम्प्रदाय,वर्ण से,भला किसी का उद्धार हुआ, ईमानदारी ना रही कहीं भी, अच्छाई भी बिलख रही भाईचारा सहयोग मदद सब, बंद गठरी सिसक रही, ऊँच-नीच का दानव भी,...
लोकतंत्र मुँह है ताक रहा, देकर समानता का अधिकार इनका बल है बस बोल रहा, ये जो हैं धर्म के ठेकेदार, जाति-धर्म के नाम पर, समाज में लोगों से दुर्व्यवहार कुप्रथा छुआछूत भी कर रही, निसदिन ...
मोहब्बत को तेरी मैंने यूँ सजाकर रखा, आँखों में तेरा ही चेहरा बसाकर रखा। तकदीर का दोष बताती रही ता-उम्र, तेरी बेवफाई का राज छिपाकर रखा। दर्द ये दिल का दिल में ही दबाए रखा, तेरे...
शाम तक शर्मा जी बहुत दुविधा में थे. लेकिन अगली सुबह जब जॉगिंग पार्क से बापस आये तो चेहरे पर बहुत सुकून था. उनके पडोसी शुक्ला जी अपनी बेटी का रिश्ता लेकर आये थे तभी से असमंजस में...
कहते है नर-नारी है समान पर क्यों होता नारी का ही अपमान कहने को है दोनों समान पर कहीं नहीं मिलता नारी को सम्मान जन्म से पहले ही होने लगती है प्रताड़ित नारी फिर भी हर...
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