डॉ रेखा
“ये कहाँ जा रही हो अम्मी ?” पड़ोस वाली महिला ने पूछा “अरे वो अपनी मधु है न उसके घर
Read Moreअब हम भी ज़माने का सुख़न देख रहे हैं ।। बिकता है सुखनवर ये पतन देख रहे हैं ।। बदनाम
Read Moreउस दिन आफिस की डाक मार्क करते-करते अचानक एक शिकायतनुमा पत्र पर मेरी नजर ठहर गयी। एक ही झटके में
Read Moreमैने देखा , अपने घर के मंदिर के पास, चौराहे पर एक लड़का उसकी बहन और एक नन्ही सी बच्ची
Read Moreलोकतंत्र मुँह है ताक रहा, देकर समानता का अधिकार इनका बल है बस बोल रहा, ये जो हैं धर्म के
Read Moreमोहब्बत को तेरी मैंने यूँ सजाकर रखा, आँखों में तेरा ही चेहरा बसाकर रखा। तकदीर का दोष बताती रही ता-उम्र,
Read Moreशाम तक शर्मा जी बहुत दुविधा में थे. लेकिन अगली सुबह जब जॉगिंग पार्क से बापस आये तो चेहरे पर बहुत
Read Moreकहते है नर-नारी है समान पर क्यों होता नारी का ही अपमान कहने को है दोनों समान पर कहीं नहीं
Read Moreहमें नहीं काट रहे हो तुम काट रहे हो अपने जीबन को , मुझे मारकर तुम बुला रहे हो अपने
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